विंग कमांडर विक्रांत उनियाल विगत 21 वर्षों से भारतीय वायुसेना में सेवारत अधिकारी हैं, उनका सपना आजादी के 75 वीं वर्षगांठ पर कुछ ऐसा करने का था जिससे अगले 25 सालों तक जो कि अमृत काल का समय कहलाया जाएगा, तक याद रखा जा सकेगा। इसी सपने को साकार रूप देने के लिए आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए उन्होंने 21 मई 2022 को भारत का तिरंगा एवं भारतीय वायुसेना के 90वें वर्ष में प्रवेश करने के उपलक्ष्य में भारतीय वायुसेना का ध्वज फहराकर और बिना ऑक्सीजन के राष्ट्रगान गाकर दृढ़ इच्छाशक्ति से एवं संपूर्ण खर्च स्वयं व्यय करते हुए देशभक्ति एवं बहादुरी का अभूतपूर्व परिचय दिया है। आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान चल रहे इस अभियान के लिए उनके द्वारा गाया गया गान हिमालय में गूंज उठा और गुमनाम नायकों के प्रयासों और स्वतंत्रता सेनानियों के आंदोलनों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
विंग कमांडर विक्रांत उनियाल जब सातवीं कक्षा में थे, तभी नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनिंग से उन्होंने पर्वतारोहण का कोर्स किया था। एयरफोर्स में जाने के बाद 2018 में सियाचिन में आर्मी माउंटेनरिंग इंस्टीट्यूट (एएमआई) से प्रशिक्षण लिया।दिसंबर 2021 में अरुणांचल में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनरिंग एंड एलाइड स्पोर्ट्स (निमास) से प्रशिक्षण के बाद तय कर लिया था कि अबकी एवरेस्ट को छूना है। इसी श्रृंखला में
यह उल्लेखनीय अभियान 15 अप्रैल 2022 को काठमांडू नेपाल से दुनिया भर के सदस्यों के प्रतिभाग के साथ शुरू हुआ।
विंग कमांडर विक्रांत उनियाल बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। वह कौशल, प्रतिभा और क्षमताओं के असंख्य उदाहरण हैं। वह एक सुखद आचरण वाले , उत्कृष्ट पर्वतारोहण कौशल और अन्वेषण के लिए एक साहसी एवम उत्साही व्यक्ति है। साइकिल चलाना, घुड़सवारी, मोटरबाइकिंग, कार रैली करना, दौड़ना और पैराग्लाइडिंग जैसी विविध रुचियां हैं। 2018 में सियाचिन से कारगिल तक ऐतिहासिक साइकिलिंग अभियान की योजना भी इन्ही के द्वारा बनाई गई थी। बचपन से ही उनकी खेलों में रुचि थी और उन्होंने एथलेटिक्स और फुटबॉल में अपने स्कूल(सैट जोसेफ एकेडमी) और जिला चैंपियनशिप का प्रतिनिधित्व किया था। वह वायुसेना स्टेशन चंडीगढ़ में राइफल शूटिंग 2021 में स्वर्ण पदक विजेता थे। 2019 में वह जमी हुई जांस्कर नदी पर चादर ट्रैक किया, वह इस अभियान के टीम लीडर और समन्वयक भी थे। 2016 में उन्होंने अपने खर्च पर कैलाश मानसरोवर ट्रैक भी पूरा किया।
विंग कमांडर विक्रांत उनियाल बताते है कि यह मिशन से उनको जो सीख मिली है वह शायद ही कहीं और से मिल सकती है। एवरेस्ट की चढ़ाई आपको जीवन के प्रति स्वीकृति सिखाती है। माउंट एवरेस्ट चुनौतियों की एक श्रृंखला है जिसके लिए कौशल, ज्ञान, शारीरिक फिटनेस और समय पर निर्णय लेने की आवश्यकता होती है आपको विचारशील, तेज, कुशल, सुसंगत और आत्मविश्वासी होना चाहिए।
आपको हर एक सेकंड जो नही होने वाला होगा उसके लिए भी तैयार रहना होता है, असहजता के साथ आपको सहज होना ही होता है। दुर्घटनाएं तब होती हैं जब आप नहीं जानते कि आप क्या नहीं जानते हैं, इसलिए आपको वह जानना होता है जो आप नहीं जानते।
अगर आप अपनी यात्रा को यादगार बनाते है तो यह आपकी यात्रा की कठनाई थोड़ी सी काम कर देता है इसलिए उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान रास्ते में मिले सभी पुराने ग्रामीणों के साथ बातचीत की, रास्ते में मिले सभी बच्चों को चॉकलेट दी और रास्ते में सभी धार्मिक मठों में सम्मान दिया।
माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई एक कठिन यात्रा थी और मानव अस्तित्व के लिए प्रतिकूल थी क्योंकि पारा दिन के दौरान -10 से -20 के बीच गिर जाता है और रात के दौरान और गिर जाता है। डेड जोन में (8 कि मी ऊपर) खुंबू फॉल्स में लगातार बदलते बर्फ संरचनाओं, दरारों और हिमस्खलन के चुनौतीपूर्ण वातावरण को अधिकारी द्वारा कुशल तरीके से नियंत्रित किया गया। अंतिम शिखर तक पहुंचना अत्यंत कठिन परिश्रम के साथ रोमांचक और थका देने वाला था। मानवीय सहनशक्ति के इस सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य से अधिकारी के जोश और जज्बे को देखा जा सकता है, जहां अभियान का पूरा खर्च उनके द्वारा ‘हर काम देश के नाम’ विश्वास को साबित करने के लिए वहन किया गया था, विंग कमांडर विक्रांत उनियाल द्वारा किया गया यह उल्लेखनीय अभियान सभी भारतीयों को गर्व और विश्वास पैदा करता है।
Great feat brother. Heartiest Congratulations. You have conquered not only Everest but also fear. Live your dreams and win more accolades. God bless.