छरबा से बुटोइया को भावभीनी विदाई कार्य व व्यवहार के लिए चर्चित रहे बुटोइया

राजकीय इंटर कॉलेज छरबा देहरादून मे विगत 17 वर्षों से कार्यरत शिक्षक जितेंद्र सिंह बुटोइया को अनिवार्य स्थानांतरण के फलस्वरूप आज 24 सितंबर 2022 को समस्त स्टाफ के द्वारा भावभीनी विदाई दी गई। इस अवसर पर प्रधानाचार्य रामबाबू विमल ने कहा कि पाठ्येतर क्रियाकलापों से छरबा इंटर कॉलेज को गढ़वाल मंडल में पहचान मिली है। जिसमें राष्ट्रीय सेवा योजना एवं रेडक्रॉस के कार्य विशेष रूप से शामिल रहे हैं। कार्यक्रम अधिकारी के रूप में बुटोइया द्वारा उत्कृष्ट प्रदर्शन किया गया। नशा मुक्त उत्तराखंड संस्कार युक्त उत्तराखंड अभियान को राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा संपूर्ण छरबा गांव में चलाया गया संकल्प पत्र भरवाए गए जिसकी ग्रामीणों एवं संस्थाओं द्वारा प्रशंसा की गई है । उनके नेतृत्व में छात्र छात्राओं ने जूनियर रेड क्रॉस में राष्ट्रीय स्तर पर “द बेस्ट टीम अवार्ड 2019” भी प्राप्त किया है।
जिला रेडक्रॉस शाखा देहरादून के सौजन्य से स्वास्थ्य जागरूकता एवं स्वैच्छिक रक्तदान शिविर के आयोजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। जिससे उत्तराखंड प्रदेश में छरबा की पहचान बनी है।
वरिष्ठ प्रवक्ता मनमोहन सिंह चौहान ने कहा कि बुटोइया द्वारा विद्यालय में सोंपे गए सभी कार्यों को हमेशा सकारात्मक सोच के साथ पूर्ण किया है। इन 17 वर्षों में उन्होंने हमेशा किसी भी कार्य के लिए हां मैं ही उत्तर दिया है। ब्लॉक क्रीडा प्रतियोगिता सहित विभिन्न सम्मान समारोह सांस्कृतिक समारोह राष्ट्रीय सेवा योजना के उद्घाटन एवं समापन समारोह आदि में इनकी भूमिका सराहनीय रही है।
अनूप कुमार अग्निहोत्री ने कहा कि बटोहिया के विद्यालय में रहते हुए संचालित किए जाने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में इनका महत्वपूर्ण सहयोग रहता था और अन्य शिक्षकों को भी साथ लेकर बिना किसी परेशानी के यह सफलतापूर्वक संचालन कर लिया करते थे जिसकी सराहना सभी विद्यालय परिवार छात्र-छात्राओं एवं ग्रामीणों द्वारा की जाती रही है। सभी को बुटोइया के कार्यों को देखते हुए उनके कर्तव्यनिष्ठता, आचरण व व्यवहार से प्रेरणा लेनी चाहिए।
मोहिनी यादव ने कहा कि बुटोइया के द्वारा किए गए विभिन्न कार्यक्रमों में उन्होंने सहयोगी की भूमिका निभाई है। राष्ट्रीय स्तर पर भी सहयोगी शिक्षिका के रूप में जाने का अवसर मिला, जिसमें उनका कार्य दायित्व आचरण व व्यवहार सराहनीय रहा है। ऐसे शिक्षकों के साथ महिलाओं को भी कार्य करते हुए अपने आप को वे सुरक्षित महसूस करती हैं। सभी शिक्षक वक्ताओं द्वारा छरबा में उनके द्वारा किए गए कार्यों की प्रशंसा की गई।
विदाई समारोह का सफल संचालन सेवानंद शर्मा द्वारा विभिन्न मुहावरों द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि बुटोइया एक शिक्षक के साथ-साथ अच्छे इंसान व समाजसेवी हैं, जो निस्वार्थ भाव से समाज को सही दिशा देने का प्रयास निरंतर करते रहते हैं।
इससे पूर्व उन्हें शॉल ओढ़ाकर एवं बुके भेंट कर प्रधानाचार्य रामबाबू विमल द्वारा स्वागत सम्मान किया गया सभी विद्यालय परिवार के सदस्यों ने माल्यार्पण कर उनका स्वागत किया साथ ही विद्यालय परिवार की ओर से स्मृति के रूप में उपहार प्रदान किए गए।
बुटोइया द्वारा इस अवसर पर कहा गया कि वह मुख्य तीन बातों पर अपना ध्यान केंद्रित कर कार्य करते हैं।
1 – गलतियां सुधारी जा सकती हैं। 2 – गलतफहमियां भी सुधारी जा सकती हैं।
3 – लेकिन गलत धारणाएं कभी सुधारी नहीं जा सकती हैं।
एक सवाल के जवाब में की आप किसी से नाराज क्यों नहीं होते हैं ?
उन्होंने कहा कि “वह कभी किसी से नाराज नहीं होते हैं क्योंकि उसे ज्ञान तो प्राप्त हुआ है लेकिन अभी उसकी समझ विकसित नहीं हुई है। उन्होंने कभी कुछ गलत बोलने वाले व्यक्ति को या गलत सोच रखने वाले व्यक्ति को यह सिखाया ही नहीं है कि वह कैसा व्यवहार करें, अब यदि वह गलती करता है, तो फिर उससे हमें नाराज होने का क्या अधिकार है। इसके साथ ही यदि हम यह विचार रखें कि हमें एक दूसरे के साथ कितना समय बिताना है ? कितने दिन बिताने हैं ? कितने महीने बिताने हैं ? कितने वर्ष बिताने हैं ? अर्थात यह समय अधिक नहीं होता है। इसलिए फिर हम किसी के साथ बुरा समय क्यों व्यतीत करें। इसलिए नाराज ना होते हुए मध्यम मार्ग निकालकर व सामंजस्य स्थापित करते हुए जीवन व्यतीत करना चाहिए। तो हमें किसी से नाराज होने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी।
इसलिए मैं किसी से नाराज नहीं होता हूं हूं।”
इस अवसर पर महेश कुमार ओझा, लोकेंद्र सिंह, जगदीश सिंह चौहान, मनोज राणा, प्रेम प्रकाश शुक्ला, चंद्र मोहन यादव, जीवन चंद्र बेरी, इकबाल सिद्धकी, अनूप कुमार अग्निहोत्री, राजेंद्र सिंह नेगी, अरविंद सिंह पवार, मनोज रावत, संगीता खत्री, मोहिनी यादव, मंजुला, खजान सिंह, गोपाल सिंह, जाहिद हुसैन, उनियाल जी आदि उपस्थित रहे।