नवजात को श्वासरोध हो तो पहला मिनट अतिमहत्वपूर्ण- हिमालयन हॉस्पिटल के बाल रोग विभाग ने फर्स्ट गोल्डन मिनट पर कार्यशाला आयोजित

देहरादून ब्रेकिंग हाई वोल्टेज न्यूज़ आशा कोठारी की रिपोर्ट*** 22-Aug-2022 नवजात को श्वासरोध हो तो पहला मिनट अतिमहत्वपूर्ण
– हिमालयन हॉस्पिटल के बाल रोग विभाग ने फर्स्ट गोल्डन मिनट पर कार्यशाला आयोजित
– एक दिवसीय कार्यशाला में 37 प्रतिभागी हुये शामिल
डोईवाला। हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में नवजात शिशुओं की मृत्यु दर घटाने को लेकर फर्स्ट गोल्डन मिनिट पर कार्यशाला आयोजित की गयी। इसमें प्रतिभागियों को हैंड्स ऑन ट्रेनिंग और क्वालिटी इंप्रूवमेंट के विषय में जानकारी दी गयी।
सोमवार को हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट के बाल रोग विभाग, इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स एवं नेशनल नियोनेटोलॉजी फोरम के संयुक्त तत्वावधान में फर्स्ट गोल्डन मिनट पर कार्यशाला का उद्घाटन डीन मेडिकल कॉलेज डॉ. अशोक देवरारी ने किया। उन्होंने प्रतिभागियांे को संबोधित करते हुये कहा कि शिशु का पहला मिनट अगर हमने कुशलता से निकाल लिया और शिशु को सांस न ले पाने की अवस्था में कृत्रिम सांस दे दिया तो शिशु की मृत्यु दर को कम करने में काफी सहायता मिलेगी। बाल रोग चिकित्सक डॉ. बीपी कालरा ने जन्म के समय नवजात में एस्फिकसीआ (सांस संबंधी) समस्या आने पर प्रशिक्षणर्थियों को उपचार की हैंड्स ऑन ट्रेनिंग दी। एक दिवसीय कार्यशाला में 37 प्रतिभागी हुये। जिसमें बेलेशवर, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज और देहरादून के स्वास्थ्यकर्मी, नर्सिंग स्टाफ, गाइनेकोलॉजिस्ट बाल रोग चिकत्सक ने प्रशिक्षण लिया। प्रशिक्षर्थियों को जन्म के दौरान बच्चे को जब सांस लेने में दिक्कत आती है तो कैसे उसे कृत्रिम सांस दी जानी चाहिए, साथ ही कैसे सामान्य होने तक उपचार की श्रेणी में रखा जाना चाहिए इसकी बारीकी से जानकारी दी गई। कार्यक्रम के मुख्य प्रशिक्षक डॉ सुरेंद्र सिंह बिष्ट, डॉ. अल्पा गुप्ता, डॉ. अनिल रावत, डॉ. राकेश कुमार, डॉ. विशाल कौशिक, डॉ. चिन्मय चेतन ने प्रतिभागियों को बताया कि प्रसवोत्तर अगर शिशु तुरंत श्वास नहीं लेता है तो शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है जिसका सबसे ज्यादा असर दिमाग पर पड़ता है। इसका असर पूरी जीवन पर पड़ सकता है। अगर समय रहते उसे बाहर से श्वास मिल जाए तो वह बच सकता है।