साहित्य प्रेमी शिक्षा प्रचारक श्री भगवती प्रसाद सकलानी का जन्म 11 सितंबर सन 1911 के दिन टिहरी के समीप कौन ग्राम में हुआ था ,इनके पिता डॉ जनार्दन सकलानी महाराजा कीर्ति शाह जी के चिकित्सक थे,वनी नगर व राज्य के लोग भी आदर से देखते थे ,तथा स्वामी रामतीर्थ जी से उनका घनिष्ठ परिचय था ,देहरादून से हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद बनारस विश्वविद्यालय से बीए व एमए और बी,टी की परीक्षाओं में भी इन्होंने सफलता प्राप्त की, बाद में उन्होंने इंग्लैंड से एम एड की उपाधि अर्जित की ,
. प्रारंभ में उन्होंने राज्य में अध्ययन किया ,फिर इन्हें प्रताप इंटर कॉलेज का प्रधानाचार्य नियुक्त किया गया ,इन्होंने उसका शिक्षण स्तर काफी ऊंचा किया तभी टिहरी राज्य का रिलीज विलीनीकरण हो गया, इसके तुरंत बाद इन्हें उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग में ले लिया गया ,बाद में इन्हें जिला विद्यालय निरीक्षक बनाया गया ,उत्तरकाशी के नवनिर्मित जिले में इन्होंने अच्छी परंपरा डाली और सुरूर क्षेत्रों तक शिक्षा का प्रकाश फैलाया, फिर यह शिक्षा उपनिदेशक के पद पर प्रोन्नत हो गए ,शिक्षा संस्थान के निदेशक रहने के अतिरिक्त इन्होंने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सचिव का भी काम किया ,8 सितंबर सन 19 69 में अवकाश ले लिया ,
. शिक्षा प्रसार के तृतीय साहित्य प्रेमी व्यक्ति थे ,और अच्छे कवि भी थे पत्र-पत्रिकाओं में इनके विचार को लेकर प्रकाशित होते रहते थे स्कूल संबंधी कुछ पुस्तकों का प्रकाशन करने के अतिरिक्त इन्होंने सुप्रसिद्ध राष्ट्रीय कवि श्री सोहनलाल द्विवेदी के सम्मान में एक अभिनंदन ग्रंथ का भी संपादन किया था ,यह हंसमुख विनोद प्रिय व्यक्ति थे पर इन्होंने अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं दिया ,इसलिए 18 फरवरी सन 1980 को दुर्गा की बीमारी के कारण दिल्ली में इन्हें महाप्रयाण करना पड़ा ,,
. .इनके बड़े भाई श्री सुभानंद सकलानी योजना अवस्था में ही भागकर इंग्लैंड चले गए थे ,और वहां उन्होंने अपना स्वतंत्र व्यवसाय जमा लिया था ,23 मार्च सन 1972 को वहीं उनका भी देहावसान हो गया , प्रस्तुतकर्ता डॉक्टर त्रयंबक सेमवाल