बेरोजगारों के नाम से राजनीतिक पृष्ठभूमि तैयार करनें वाले पंवार के साथ मात्र यूकेडी समर्थक कार्यकर्ता व विचारधारा**बॉबी के बेरोजगार संगठन की नींव रखनें वाली मूल टीम साथ नहीं:यशपाल सिंह

बेरोजगारों के नाम से राजनीतिक पृष्ठभूमि तैयार करनें वाले पंवार के साथ मात्र यूकेडी समर्थक कार्यकर्ता व विचारधारा**बॉबी के बेरोजगार संगठन की नींव रखनें वाली मूल टीम साथ नहीं–यशपाल सिंह*देहरादून– 12मार्च को गांधी मैदान में बेरोजगार संगठन की नींव बेरोजगारों के हित को ध्यान में रखते हुए रखी गई थी।जिसके मूल स्वरूप का ताना–बाना उत्तराखंड प्रदेश के बेरोजगारों की समस्याओं बेरोजगारी के इर्द–गिर्द बुना गया था। जिस तानें –बानें को धरातल पर उतारने के लिए प्रदेश के बेरोजगार जागरुक युवाओं में गढ़वाल से यशपाल बिष्ट, बॉबी पंवार, सुनील रावत, कुलदीप चौहान, विरेश चौधरी, गिरेश रावत, सत्यम रांठा, प्रियंका चौधरी, धनीराम जगूड़ी कुमाऊं मंडल से पीसी पंत, राकेश अधिकारी आदि बेरोजगार शामिल थे। सभी नें बॉबी पंवार को देहरादून जनपद के निकट का होने के साथ प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी। वक्त की नजाकत को न समझते हुए बेरोजगारों का नेतृत्व करनें वाले कुछ बेरोजगारों द्वारा बैठक के बीच में ही आए यूकेडी के जयदेव सकलानी को सलाहकार और उनके साथ पहुंचे जोशी को भी सलाहकार बना दिया गया। बस यहीं से बेरोजगार संगठन का राजनीतिकरण शुरू हुआ। जहां से संगठन में दरार पड़नी शुरू हुई। उसके बाद संगठन कई बार बिखरा संभला। नई–नई टीम के साथ नए सांगठनिक पदाधिकारी लैटर पैड बदले गए। लेकिन बॉबी नहीं बदले। क्योंकि उनका मिशन ही नेता बनना था। और नेता बन भी गए। सांसद विधायक बनते हैं यह आनें वाला कल ही बतायेगा।26मार्च को बेरोजगारों की आक्रोश महारैली के जोश, जुनून, उत्साह, ऊर्जा, सहयोग और समर्थन से संगठन की टीम का मनोबल बढ़ा। लेकिन वहीं राजनीतिकरण के चलते हड़ताल आंदोलन धीरे–धीरे विफल और सफल भी होते रहें। नींव रखनें वाली टीम टूट रही थी। वक्त की नजाकत को भांपते हुए और बेरोजगारों की एकता को ध्यान में रखते हुए संगठन के जानकार यशपाल सिंह बिष्ट कोषाध्यक्ष नें कुमाऊं मंडल जाकर बेरोजगार संगठन की कार्यकारिणी का विस्तार कर 16अप्रैल को हल्द्वानी में हल्द्वानी के जागरूक बेरोजगारों के अंदर जोश भर आक्रोश रैली का बिगुल फूंकवाया।बेरोजगारों के संगठन की नींव रखनें से पहले ही बेरोजगारों के संगठन का राजनीतिकरण हो गया। लाख समझानें पर भी कुछ बेरोजगार नहीं समझ पाए। बेरोजगारों के नाम से संगठन यूकेडी के काम का हो गया। यही वजह है कि निर्दलीय बॉबी पंवार यूकेडी के समर्थन के साथ सभी क्षेत्रीय संगठन, दलों का समर्थित प्रत्याशी बनकर रह गया। हर व्यक्ति, हर चेहरा, हर एक दल–पार्टी राजनीतिक पृष्ठभूमि तलाशनें और कुर्सी पानें के लिए राजनीतिक गुणा भाग करती है। जिसका भागफ़ल बॉबी जैसे चेहरे के रुप में मिलता है। बेशक बॉबी पंवार नेता नहीं लेकिन यूकेडी द्वारा बेरोजगारों की आड़ में सींचा गया वह पौधा है। जो आगे हरा–भरा फलदार वृक्ष रहेगा या सूख जायेगा। यह कल का भविष्य ही बता पायेगा।बेशक बेरोजगारों की लड़ाई में कुछ बेरोजगार भी जीत गए होंगे। कुछ नौकरी लग गए होंगे। कुछ बॉबी को जीतानें में लगे हैं। लेकिन सही मायनों में भीड़ जुटाने की दृष्टि से अभी तक देखा जाए तो बेरोजगार नहीं संगठन के नाम से उत्तराखंड क्रांतिदल जीता है। आनें वाले भविष्य में सांसद, विधायक के रूप में ईनाम मिलेगा या नहीं। यह जनता ही तय करेगी। देखना होगा कि यूकेडी बेरोजगारों को और उनके नेतृत्व को अपनें साथ कब तक बनाकर रखती है। इसके लिए यूकेडी को आनें वाले 2027 चुनाव तक बेरोजगार संगठन को सींचना पड़ सकता है। भविष्य में अन्य दल, राजनीतिक पार्टियां भी आम चुनाव में बॉबी के वोट प्रतिशत को देखकर बेरोजगार संगठन और उनके नेतृत्व को खाद पानी देंनें का काम कर सकते हैं। बेरोजगारों की छांव में पली और यूकेडी के संरक्षण में बढ़ी बेरोजगार संघ की पौध संरक्षित और सुरक्षित रह पायेगी। यह राजनीति की हवा ही बता तय करेगी।