उत्तराखण्ड मूल निवास रैली रैंजर्स मैदान से शुरू, बलिदान स्थल पर समापन

उत्तराखण्ड मूल निवास रैली रैंजर्स मैदान से शुरू, बलिदान स्थल पर समापन….स्वाभिमान महारैली में उमड़ा जनसमुदाय,युवाओं और संगठनों का हल्ला बोल,जनगीतों से जताया आक्रोश……एक जुट एक मुट ह्वे जावा, जागी जा वा’ गीत के साथ नेगी दा ने रैली के लिए भरी हुंकार….लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने चमोली के गरुड़ गंगा से गीत के जरिए मूल निवास रैली को सफल बनाने की कोशिश की. उन्होंने गीत के जरिए उत्तराखंड की जनता को जगाने की कोशिश की और चमोली से भी एक रैली की शुरुआत की.

देहरादून……….. मूल निवास भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के निवेदन पर आज देहरादून के परेड ग्राउंड में कई सामाजिक संगठनों, राजनीतिक दलों, राज्य आंदोलनकारियों और उत्तराखंड की जनता ने मूल निवास स्वाभिमान रैली आयोजित की. हजारों में संख्या में जुटी भीड़ ने मूल निवास 1950 और सशक्त भू-कानून की मांग की. रैली को लेकर पिछले काफी दिनों से सोशल मीडिया के जरिए लोगों को जागरूक किया जा रहा था.
देहरादून का परेड ग्राउंड में हजारों लोगों का जनसैलाब उमड़ा. हाथों में तख्ती और जुबान पर बस एक ही नारा था ‘मूल निवास लागू करो, सशक्त भू-कानून लागू करो’. रैली को सफल बनाने के सभी जिलों से लोग पहुंचे. रैली में कई संगठन और राजनीतिक दल भी मौजूद थे. लेकिन सबका मूल निवास और भू-कानून ही मकसद था. रैली में कई समाजसेवी, चारधाम तीर्थ पुरोहित, उत्तराखंड के प्रबुद्धजन और लोकगायक भी शामिल हुए. सभी ने एक स्वर में उत्तराखंड में सशक्त भू कानून और मूल निवास 1950 लागू करने की मांग उठाई.
उधर गायक -गीतकार नरेंद्र सिंह नेगी ने भी रैली को सफल बनाने के लिए दूसरे छोर से प्रयास की शुरुआत की. नरेंद्र सिंह नेगी ने बदरीनाथ के द्वार गरुड़ गंगा से कई लोक गायकों के साथ रैली की शुरुआत की. उन्होंने सबसे पहले तो इस महारैली को सफल बनाने के लिए उत्तराखंड की जनता को शुभकामनाएं दी और फिर एक गीत के जरिए उत्तराखंड की जनता को जगाने का प्रयास किया.नरेंद्र सिंह नेगी की गाई गई गीत की कुछ लाइनें:
जागी जा वां, जागी जा वांधर्मधाद छौं लगाणु सुणी ल्यावा
सुणी ल्यावा हे उत्तराखण्ड्योंएक जुट एक मुट ह्वे जावा…

उत्तराखंड में सशक्त भू कानून और मूल निवास 1950 की मांग को लेकर आज युवाओं ने हल्ला बोला. सशक्त भू कानून और मूल निवास 1950 की मांग को लेकर देहरादून में स्वाभिमान महारैली का आयोजन किया गया. जिसमें युवाओं, महिलाओ और पुरुषों का जनसमुदाय उमड़ा.युवाओं ने अपने हकों को लेकर जमकर हल्ला बोला. स्वाभिमान महारैली में प्रदर्शनकारियों ने जनगीतों से सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला. इस दौरान महिलाएं पारंपरिक परिधान में नजर आई. ढोल-दमाऊं की थाप पर प्रदर्शनकारियों ने सशक्त भू कानून और मूल निवास 1950 की मांग की. युवाओं ने संस्कृति, जंगल, जमीन बचाने के लिए आवाज बुलंद की…..उत्तराखंड में मूल निवास कानून लागू करने और इसकी कट ऑफ डेट 26 जनवरी 1950 घोषित किए जाने और प्रदेश में सशक्त भू-कानून लागू किए जाने की मांग को लेकर देहरादून में आज उत्तराखंड मूल निवास स्वाभिमान महारैली का आयोजन किया गया।….महारैली में बड़ी संख्या में युवा और तमाम सामाजिक और राजनीतिक संगठन शामिल होने के लिए प्रदेश भर से पहुंचे । लोग परेड मैदान में एकत्रित हुए और यहां सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की।रैली परेड ग्राउंड में एकत्र होकर काॅन्वेंट स्कूल से होते हुए एसबीआई चौक, बुद्धा चौक, दून अस्पताल, तहसील चौक होते हुए कचहरी स्थित शहीद स्मारक पहुंची। इसके बाद यहां सभा का आयोजन किया गया।…..मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि यह उत्तराखंड की जनता की अस्मिता और अधिकारों की लड़ाई है। सरकार की ओर से विभिन्न माध्यमों से संघर्ष समिति से जुड़े सदस्यों से संपर्क कर रैली का टालने का अनुरोध किया गया था।
उन्होंने कहा कि हम सरकार की इस पहल और सक्रियता का सम्मान करते हैं, लेकिन यह जन आंदोलन है, जिसका नेतृत्व उत्तराखंड की आम जनता कर रही है। इसलिए इस आंदोलन से संबंधित कोई भी फैसला आम जनता के बीच से ही निकलेगा।

संघर्ष समिति की ये भी हैं प्रमुख मांगें
– प्रदेश में ठोस भू कानून लागू हो।
– शहरी क्षेत्र में 250 मीटर भूमि खरीदने की सीमा लागू हो।
– ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगे।
– गैर कृषक की ओर से कृषि भूमि खरीदने पर रोक लगे।
– पर्वतीय क्षेत्र में गैर पर्वतीय मूल के निवासियों के भूमि खरीदने पर तत्काल रोक लगे।
– राज्य गठन के बाद से वर्तमान तिथि तक सरकार की ओर से विभिन्न व्यक्तियों, संस्थानों, कंपनियों आदि को दान या लीज पर दी गई भूमि का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए।
– प्रदेश में विशेषकर पर्वतीय क्षेत्र में लगने वाले उद्यमों, परियोजनाओं में भूमि अधिग्रहण या खरीदने की अनिवार्यता है या भविष्य में होगी, उन सभी में स्थानीय निवासी का 25 प्रतिशत और जिले के मूल निवासी का 25 प्रतिशत हिस्सा सुनिश्चित किया जाए।
– ऐसे सभी उद्यमों में 80 प्रतिशत रोजगार स्थानीय व्यक्ति को दिया जाना सुनिश्चित किया जाए।
वहीं, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने भू कानून को लेकर स्पष्ट किया कि हमारी सरकार राज्य निर्माण की मूल अवधारणा के संरक्षण को लेकर कटिबद्ध है। उन्होंने कहा कि कठोरतम नकल निरोधक और धर्मांतरण कानून के बाद मूल निवासियों के हित में सख्त भू कानून भी भाजपा सरकार ही लेकर आएगी।
ढोल दमाऊ की थाप के बीच मूल निवास भूकानून एकजुट एक मुठ और जागी जावा के नारे गूंज रहे थे। जैसे-जैसे रैली आगे बढ़ते हुए शहीद स्मारक के पास पहुंची नागरिकों का जोश भी बढ़ गया। खासकर मातृशक्ति का उत्साह रैली के जोश और जज्बे को और बढ़ा रहा था। प्रदेश में मूल निवास एवं सशक्त भू-कानून तत्काल प्रभाव से लागू होना चाहिए।

मूल निवास और भू-कानून की मांग ने पकड़ा जोर- देहरादून पहुंचे हजारों की संख्या में लोग
ढोल दमाऊ की थाप पर दून में गूंजा मूल निवास, भूकानून का नारा
दून में रविवार को ढोल दमाऊ की थाप पर मूल निवास 1950 और सशक्त भूकानून का नारा गुंजायमान होता रहा। हजारों की संख्या में प्रदेशभर से जुटे लोग रैली में पहुंचे । समाज के लगभग सभी वर्गों का प्रतिभाग स्वाभिमान रैली में नजर आया। रैली को लेकर जनता का उत्साह सुबह से ही नजर आने लगा था।
प्रदेश भर से बड़ी संख्या में लोग मूल निवास 1950 और सशक्त भूकानून लागू करने की मांग को लेकर पारंपरिक वेशभूषा में पहुंचे थे।…..ढोल दमाऊ की थाप के बीच मूल निवास, भूकानून, एकजुट एक मुठ और जागी जावा के नारे गूंज रहे थे। जैसे-जैसे रैली आगे बढ़ते हुए शहीद स्मारक के पास पहुंची नागरिकों का जोश भी बढ़ गया। खासकर मातृशक्ति का उत्साह रैली के जोश और जज्बे को और बढ़ा रहा था।….प्रदेश में मूल निवास एवं सशक्त भू-कानून तत्काल प्रभाव से लागू होना चाहिए। उत्तराखंड में जनसंख्या विस्फोट तेजी से हो रहा है। हिमाचल एवं उत्तराखंड पहाड़ी राज्य हैं। प्राकृतिक संसाधनों पर दोनों ही प्रदेश निर्भर है। लेकिन उत्तराखंड के प्राकृतिक संसाधन एवं पहचान दोनों ही समाप्त होती जा रही है।-अनूप नौटियाल, समाजसेवी….सरकार मूल निवास कमेटी बनाकर प्रदेश की जनता को गुमराह कर रही है। प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों पर पूंजीपतियों का कब्जा हो रहा है। मूल निवास एवं भू कानून तत्काल से लागू न करने पर प्रदेश व्यापी आंदोलन किया जाएगा।-प्रदीप कुकरेती। राज्य आंदोलनकारी


मूल निवास एवं भू कानून को सख्ती से कुचलने को सरकार ने महारैली के दिन अपना दलीय कार्यक्रम निर्धारित किया। सरकार को प्रदेश की जनता ने अपनी ताकत दिखाया है। इस महारैली में सभी समुदाय के लोगों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।-शिव प्रसाद सेमवाल, केंद्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी


उत्तराखंड के प्राकृतिक संसाधन, संस्कृति बचाने को मूल निवास का लागू होना जरूरी है, जिससे उत्तराखंड का पानी एवं जवानी उत्तराखंड के काम आ सके। यह अपने आप में बड़ा मुद्दा है। जन भावनाओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए।-अतुल शर्मा, जनकवि