विश्व अर्थराइटिस दिवस पर हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में चला जागरुकता अभियान


विश्व अर्थराइटिस दिवस पर हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में चला जागरुकता अभियान

  • गठिया से पीड़ित व्यक्ति जी सकता है सामान्य और उत्पादक जीवन
  • भारत में कम से कम 6 करोड़ लोग किसी न किसी प्रकार के गठिया से पीड़ित
    डोईवाला। विश्व अर्थराइटिस दिवस पर हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में जागरूकता अभियान चलाया गया। इस दौरान अस्पताल आने वाले लोगों को गठिया के लक्ष्ण व बचाव की जानकारी दी गयी।
    गुरुवार को हिमालयन हॉस्पिटल में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वरिष्ठ रुमेटोलॉजिस्ट डॉ. योगेश प्रीत सिंह ने कहा कि शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया है कि भारत में कम से कम 6 करोड़ लोग किसी न किसी प्रकार के गठिया से पीड़ित हैं। गठिया और रुमेटोलॉजिकल रोगों से जुड़ी बीमारियों को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है और यह मान लिया जाता है कि ये उम्र बढ़ने की प्रक्रिया का हिस्सा हैं। इस गलत धारणा के कारण कई लोग अपनी स्थिति का इलाज कराने की कोशिश भी नहीं करते हैं। कहा कि गठिया के लक्षणों में जोड़ों में दर्द, जोड़ों में सूजन, चलने-फिरने में रुकावट शामिल हैं। कुछ प्रकार के गठिया रीढ़ के जोड़ों को भी प्रभावित कर सकते हैं। गठिया कोई एक स्थिति नहीं है। 100 से अधिक विभिन्न बीमारियाँ हैं जो गठिया का कारण बन सकती हैं। कई अन्य बीमारियों में ऑस्टियोआर्थराइटिस, रूमेटॉइड आर्थराइटिस, एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस, सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (ल्यूपस) और सोरियाटिक आर्थराइटिस आम हैं। उन्होंने कहा कि यह बीमारी बच्चों के साथ-साथ युवा वयस्कों और मध्यम आयु वर्ग की आबादी सहित किसी भी आयु वर्ग को प्रभावित कर सकती हैं। रुमेटाइड गठिया, एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस, सोरियाटिक गठिया और ल्यूपस जैसे गठिया आमतौर पर 18 से 45 वर्ष की आयु के बीच के युवाओं को प्रभावित करते हैं। बच्चों को प्रभावित करने वाले गठिया को किशोर गठिया कहा जाता है। बुजुर्गों को प्रभावित करने वाले गठिया को ऑस्टियोआर्थराइटिस कहा जाता है।
    यदि समय पर गठिया का उपचार न किया जाए तो जोड़ों में विकृति आ सकती है। इन विकृतियों को दवाओं से ठीक नहीं किया जा सकता है और इनमें से कुछ विकृतियों के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। गठिया सिर्फ जोड़ों की बीमारी नहीं है। यह जीवन के लिए खतरा भी हो सकती हैं और फेफड़े, हृदय और गुर्दे जैसे कई अंगों को प्रभावित कर सकती हैं। 2010 में रुमेटीइड गठिया, ऑटोइम्यून गठिया की एक बीमारी, जिसके परिणामस्वरूप विश्व स्तर पर लगभग 49,000 मौतें हुईं। विभिन्न प्रकार के गठिया वाले व्यक्तियों में दिल के दौरे का खतरा 200 प्रतिशत अधिक होता है, स्ट्रोक का लगभग 150 प्रतिशत अधिक खतरा होता है।
    पिछले कुछ वर्षों में गठिया और रुमेटोलॉजिकल रोगों की समझ और उपचार में जबरदस्त प्रगति हुई है। इन हालिया प्रगतियों ने उपचार को अधिक प्रभावी, आसान बना दिया है और उपचारित रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार किया गठिया का इलाज संभव है और उपचार से गठिया से पीड़ित व्यक्ति सामान्य और उत्पादक जीवन जी सकता है। नर्सिंग कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने पोस्टर प्रदर्शनी व नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोगों को जागरूक किया। साथ ही हॉस्पिटल आने वाले लोगों को पर्चें बांटकर बीमारी के बारे में जानकारी दी। इस अवसर पर डॉ. कमली प्रकाश, प्रीति प्रभा, नीलम थापा, राजेश्वरी उपस्थित थे।