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जीतमणि पैन्यूली ने बताया की काली हल्दी, काले और नीले रंग के कॉम्बिनेशन में होती है। बहुत कम ही लोग काले हल्दी के बारे में जानते हैं।यह आयुर्वेद की अछूती जड़ी बूटियों में से है, इसमें कई तरह के औषधीय गुण पाए जाते हैं।
72 वर्षीय जीतमणि पैन्यूली टिहरी के मूल निवासी है और वर्तमान में देहरादून रहते हैं। जिन्होंने वार्ड 7 शेरगढ़ माजरी में 5 बीघे में काली हल्दी को खेती की है। जीतमणि ने बताया की उनको काली हल्दी बोने की प्रेरणा कोरोना काल के दौरान आई। बताया की जब वह कोरोना पॉजिटिव थे तो काली हल्दी की सहायता से ही जल्दी रिकवर हुए।
उन्होंने माजरी के शेरगढ़ में काली हल्दी की 3.5 कुंटल बीज की खेती की। जिसका उत्पाद 8 महीनों में 60 क्विंटल से ऊपर हुआ है। जिसका लाभ वह सभी को देना चाहते हैं। जीतमणी ने बताया की उन्होंने यह काली हल्दी का बीज मेघालय के लोकाडोंगा गांव से मंगवाया है।
उनका उद्देश्य है कि लोग जागरूक हो, ज्यादा से ज्यादा लोगो तक इसका लाभ पहुंचा। बताया की फसल बुआई में कोई परेशानी नही हुई। फसल को जंगली जानवरों से कोई खतरा नहीं।बताया की इसमें एंटी इंफ्लेमेट्री गुण पाया जाता है जो सर्दी, जुकाम, खांसी, अस्थमा जैसी बीमारियों से राहत दिलाता है। काली हल्दी गैस्ट्रिक समस्याओं से छुटकारा दिलाने का काम करती है।
काली हल्दी के लाभ :–
•) लीवर के लिए फायदेमंद
•) एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर
•) ओस्टियो अर्थराइटिस में सहायक
•) कैंसर में भी है फायदेमंद
•) ऐंटिफंगल
•) एनाल्जेसिक
•) लोकोमोटर डिप्रेसेंट
•) एंटीकॉन्वेलसेंट
•) एंटी-बैक्टीरियल
•) मांसपेशियों को आराम
•) सांस संबंधित बीमारियों से फायदेमंद