शीघ्र ही मांगे पूरी ना होने पर प्रधान संगठन ने दी उग्र आंदोलन की चेतावनी

डोईवाला #BHVN

ग्राम प्रधान संगठन की ओर से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा गया। जिसमें उन्होंने ग्राम पंचायतों में आ रही समस्याओं से अवगत कराया। बुधवार को कई ग्राम पंचायतों के ग्राम प्रधानों ने धरना प्रदर्शन किया और शीघ्र ही समस्याओं से निजात पाने की मांग करते हुए ग्राम प्रधान संगठन ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा।

प्रधान संगठन की ओर से कहा गया की यदि मांगों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं हुए तो ग्राम प्रधान संगठन पूरे प्रदेश सहित राष्ट्रीय में उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होगा।

मांग करते हुए उन्होंने बताया की सीएम द्वारा ग्राम पंचायत आपदा निधि की घोषणा एक वर्ष पूर्व की गई थी। जिसमें प्रत्येक ग्राम पंचायत को आकस्मिक निधि के रूप में दस हजार रूपए दिए जाने की घोषणा हुई थी। बताया की करोना काल में ग्राम प्रधानों द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें प्रशस्ति पत्र व प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की गई थी, जिसका शासनादेश आज दिन तक प्राप्त नहीं हुआ।

कहा की पंचायती राज विभाग के ढांचे को मजबूत करते हुए विभाग में स्थाई पदों को बढ़ाया जाए तथा मैदानी जनपदों में ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों की संख्या को पर्वतीय जनपदों के सापेक्ष बढ़ाया जाए। वहीं ग्राम पंचायत में स्थित सरकारी भूमि जिला पंचायत की भूमि का उपयोग ग्राम पंचायत में बनने वाले सरकारी भवनों के निर्माण में किए जाने का स्पष्ट शासनादेश किया जाए।

ग्राम पंचायत की खुली बैठक में प्रस्तावित कार्यों को जिला योजना में वरीयता दी जाएं तथा जिला योजना में भी ग्राम प्रधानों को नामित सदस्य नियुक्त किया जाए। साथ ही ग्राम पंचायतों को पंचायत भवन निर्माण के लिए निर्धारित दस लाख की राशि को बढ़ाकर 20 लाख किया जाए।

कहा की ग्राम प्रधानों का आरक्षण 10 वर्ष तक निर्धारित होना चाहिए क्योंकि वर्तमान में त्रिस्तरीय पंचायतों का आरक्षण प्रत्येक पंचवर्षीय में परिवर्तित किया जा रहा है। कहा की कोरोना काल में सेवा देने वाले पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल दो वर्ष बढ़ाए जाएं।

ग्राम पंचायत में रेखीय विभागों द्वारा किए जाने वाले समस्त कार्यों की पूर्व अनुमति, कार्य पूर्ति एवं सत्यापन का कार्य ग्राम पंचायत द्वारा किए जाने का स्पष्ट शासनादेश किया जाए और ग्राम पंचायतों की 6 समितियों के अतिरिक्त ग्राम पंचायत में बनाई गई समितियों को समाप्त किया जाए।

केंद्रीय वित्त में टाइट अनटाइट की बाध्यता समाप्त हो व केंद्रीय वित्त तथा राज्य वित्त की धनराशि को समय-समय पर शासन द्वारा अलग-अलग मदों पर खर्च करने की बाध्यता को समाप्त किया जाए। ग्राम प्रधानों के खिलाफ अविश्वास पत्र का फैसला वार्ड सदस्यों की बजाय ग्रामीण जनता द्वारा किया गया।

साथ ही ग्राम प्रधानों का राज्यभर में रोड टोल फ्री किया जाए। ग्राम प्रधानों का मानदेय 3500 से बढ़ाकर 5000 किया जाए तथा पेंशन की सुविधा उपलब्ध की जाए। पंचायती राज विभाग द्वारा ग्राम प्रधानों का व्यक्तिगत तथा स्वास्थ्य बीमा करवाया जाए।

जिन पंचायतों में नेटवर्क की समस्या होने के कारण एनएमएमएस के श्रमिक उपस्थिति लेना संभव नहीं हो पा रहा है इस के लिए आवश्यक विकल्प उपलब्ध कराए जाएं। तकनीकी नेटवर्क की समस्या के कारण एनएमएमएस के माध्यम से ली जा रही उपस्थिति यदि अपलोड नहीं हो रही है तो इस स्थिति में श्रमिक उपस्थिति को एडिट करने का प्रावधान पूर्व की तरह डीपीओ लॉगिन में उपलब्ध कराया जाए।

साथ ही मनरेगा में सामग्री का भुगतान 3 माह में किया जाए। योजना अंतर्गत ग्राम पंचायत में अधिकतम 20 प्रगति रथ कार्यों की सीमा को हटाया जाए व श्रमिकों तक पूर्व की भांति ऑफलाइन मस्ट्रॉल पर ही कार्य कराए जाएं और मनरेगा निर्माण कार्यों में 70% सामग्री एवं 30% मजदूरी का अनुपात रखा जाए एवं कुशल श्रमिक का भुगतान श्रमिकों के साथ ही किया जाए।

प्रदर्शन में प्रदेश अध्यक्ष भास्कर सम्मल, ग्राम प्रधान सनगांव हेमन्ती रावत, दिलीप तोमर, नरेंद्र सिंह तोमर, भगवान सिंह महर, अनिल तोमर, नरेंद्र सिंह मेलबान, रेखा बहुगुणा, मीनू छेत्री, जवाहर, स्वराज चौहान, दीवान सिंह पुंडीर आदि उपस्थित थे।