ऋषिकेश#BHVN
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली अपनी मां सरोज कोहली और पत्नी अभिनेत्री अनुष्का शर्मा के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आध्यात्मिक गुरु स्वामी दयानंद सरस्वती के ऋषिकेश स्थित आश्रम में पहुंचे। यहां उन्होंने गुरु की समाधि पर पुष्प अर्पित कर ध्यान लगाया।
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली परिवार के साथ सोमवार सुबह जनपद पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर ब्लाक स्थित मोहनचट्टी के एक रिसार्ट में पहुंचे। शाम करीब पांच बजे विराट, अनुष्का और उनकी मां सरोज ऋषिकेश के शीशम झाड़ी स्थित स्वामी दयानंद आश्रम पहुंचे। स्वामी दयानंद सरस्वती प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आध्यात्मिक गुरु थे। उनसे मुलाकात करने के लिए प्रधानमंत्री स्वयं यहां आए थे। बाद में स्वामी दयानंद सरस्वती ब्रह्मलीन हो गए। उन्होंने आश्रम पहुंचने के बाद सबसे पहले स्वामी दयानंद सरस्वती की समाधि स्थल पर उनकी प्रतिमा में पुष्प अर्पित कर पूजा अर्चना की। उन्होंने यहां करीब 20 मिनट तक ध्यान भी लगाया। आश्रम परिसर में स्थित भगवान शंकर के मंदिर में उन्होंने पूजा-अर्चना की आश्रम आगमन के बाद विराट, अनुष्का और उनकी मां सरोज ने दयानंद आश्रम के अध्यक्ष स्वामी साक्षातकृता नंद महाराज से आशीर्वाद लिया। रात को वह यहीं आश्रम के ही प्रवास करेंगे। शाम करीब साढ़े सात बजे उन्होंने आश्रम की रसोई में बना भोजन किया। उन्होंने अपने ही कक्ष में रोटी, सब्जी, खिचड़ी, कढ़ी खाई।
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली परिवार के साथ सोमवार सुबह जनपद पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर ब्लाक स्थित मोहनचट्टी के एक रिसार्ट में पहुंचे। शाम करीब पांच बजे विराट, अनुष्का और उनकी मां सरोज ऋषिकेश के शीशम झाड़ी स्थित स्वामी दयानंद आश्रम पहुंचे। स्वामी दयानंद सरस्वती प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आध्यात्मिक गुरु थे। उनसे मुलाकात करने के लिए प्रधानमंत्री स्वयं यहां आए थे। बाद में स्वामी दयानंद सरस्वती ब्रह्मलीन हो गए। उन्होंने आश्रम पहुंचने के बाद सबसे पहले स्वामी दयानंद सरस्वती की समाधि स्थल पर उनकी प्रतिमा में पुष्प अर्पित कर पूजा अर्चना की। उन्होंने यहां करीब 20 मिनट तक ध्यान भी लगाया। आश्रम परिसर में स्थित भगवान शंकर के मंदिर में उन्होंने पूजा-अर्चना की आश्रम आगमन के बाद विराट, अनुष्का और उनकी मां सरोज ने दयानंद आश्रम के अध्यक्ष स्वामी साक्षातकृता नंद महाराज से आशीर्वाद लिया। रात को वह यहीं आश्रम के ही प्रवास करेंगे। शाम करीब साढ़े सात बजे उन्होंने आश्रम की रसोई में बना भोजन किया। उन्होंने अपने ही कक्ष में रोटी, सब्जी, खिचड़ी, कढ़ी खाई।