हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में कैंसर रोगी का हुआ सफल किडनी ट्रांसप्लांट’

28-APRIL-2025_________हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में कैंसर रोगी का हुआ सफल किडनी ट्रांसप्लांट’
’- किडनी डोनर का भी पूर्व में हो चुका है कैंसर का ईलाज’
’डोईवाला। ’ _____________हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट ने बेहद चुनौतीपूर्ण किडनी ट्रांसप्लांट करके बड़ी सफलता हासिल की है। चिकित्सकों को लिए भी अविश्वसनीय रहे इस सफल किडनी ट्रांसप्लांट में रोगी और किडनी डोनर दोनों पूर्व में गंभीर स्वास्थ्य समस्या का सामना कर चुके है।
भगवान दास (48 वर्ष) निवासी डोईवाला किडनी खराब होने के चलते पिछले आठ वर्षों से हेमोडायलिसिस पर थे। हेमोडायलिसिस की प्रक्रिया रोगी और नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. शहबाज अहमद दोनों के लिए बहुत जटिल थी क्योंकि रोगी केे पास कोई स्थायी डायलिसिस फिस्टूला नहीं था। इसलिए वह डायलिसिस कैथेटर के माध्यम से डायलिसिस करवा रहे थे। डायलिसिस कैथेटर से मरीज को संक्रमण की बहुत अधिक संभावना रहती है। 2022 में रोगी का हीमोग्लोबिन निरंतर रूप से कम रहने लगा था जबकि वो डायलिसिस एवं दवाइयां नियमित रूप से ले रहे थे। जाँच करने पर पता चला की भगवान दास मल्टीपल मायलोमा की बीमारी से भी ग्रस्त है। यह एक प्रकार का कैंसर है जो किडनी और अस्थि मज्जा दोनों की प्रभावित करता है। जिसका ईलाज बोन मेरो ट्रांसप्लांटेशन होता है लेकिन इस प्रक्रिया में संक्रमण होने की बहुत ही अधिक सम्भावना होती है। इसलिए ऐसे मरीजों को आइसोलेशन में रखा जाता है। भगवान दास को नियमित रूप से डायलिसिस करवानी भी जरूरी थी। डॉ. शहबाज अहमद एवं डॉ. कुणाल दास के संयुक्त प्रयास से भगवान दास का सफत बोन मेरो ट्रांसप्लांट उसी साल किया गया। इसके बाद किडनी देने के लिए रोगी की पत्नी तैयार थी। जिसने पहले सफलतापूर्वक थॉयराड कैंसर का मुकाबला किया था।_____’चुनौतीपूर्ण रहा प्रत्यारोपण से पूर्व चिकित्सा मूल्यांकन’
प्रत्यारोपण से पहले की चिकित्सा मूल्यांकन चुनौतीपूर्ण था क्योंकि रोगी को पहले मल्टीपल मायलोमा के लिए और किडनी डोनर का थॉयराड कैंसर के लिए इलाज किया गया था। समस्या यह थी की अगर मल्टीपल मायलोमा कंट्रोल में नहीं होता तो ये बीमारी ट्रांसप्लांट की गयी किडनी को भी प्रभावित कर सकती थी और गुर्दे को खराब कर सकती। वरिष्ठ गुर्दा रोग विशेषज्ञ व नेफ्रोलॉजी इंचार्ज डॉ. शहबाज अहमद और डॉ. आवृत्ति बवेजा ने जांच करके पाया कि मल्टीपल मायलोमा कंट्रोल में है और गुर्दा ट्रांसप्लांट कराया जा सकता है। इसके अलावा डोनर को ऑनकोसर्जन ने स्वीकृति दे दी।_____इसके बाद यूरोलॉजिस्ट डॉ. राजीव सरपाल, डॉ. शिखर अग्रवाल, डॉ. पंकज, डॉ. सुवित जुमड़े, एनेस्थेटिस्ट डॉ. वीना अस्थाना, डॉ. अभिमन्यु, नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. शहबाज अहमद, डॉ. विकास चंदेल, डॉ. ब्रजेश मौर्य की टीम ने रोगी का सफल किडनी ट्रांसप्लांट कर बड़ी सफलता हासिल की।__________स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. विजय धस्माना ने इस चुनौतीपूर्ण किडनी ट्रांस्पलांट को सफल बनाने वाली पूरी टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट उत्तराखंड में किडनी ट्रांसप्लांट का विश्व स्तरीय स्वीकृत संस्थान है। उन्होंने कहा लोगों की लोगों को उत्तम स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए हिमालयन अस्पताल प्रतिबद्ध् है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *