उत्तराखंड में समाचार पत्रों में देखने को मिला है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत जूनियर हाई स्कूलों में 100 छात्र संख्या वाले विद्यालयों में तीन अध्यापकों की तैनाती करने पर अखिल भारतीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेश त्यागी ने भी चिंता जताते हुए निदेशक उत्तराखंड से इस निर्णय को वापस लेने की अपील की,और 105 छात्र संख्या पर जूनियर हाई स्कूलों में प्रधानाध्यापक की पदोन्नति का घोर विरोध किया।उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में किसी भी विद्यालय में 100 छात्र संख्या नहीं होगी।हमारा निदेशक प्रारंभिक शिक्षा उत्तराखंड से अनुरोध है कि भोगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए सर्व शिक्षा से लेकर राज्य सेक्टर के विद्यालयों में प्रधानाध्यापक सहित पांच पद सृजित किए जाए।जिसे सरकारी विद्यालयों में छात्र संख्या बढ़ने की उम्मीद रहेगी,साथ ही लोगों का सरकारी विद्यालयों पर विश्वास भी बना रहेगा,एक ओर विभाग व शासन सरकारी विद्यालयों में छात्र संख्या घटने पर चिंतित हैं और दूसरी ओर विद्यालयों में शिक्षकों के पदों में कटोती की जा रही है,जो न्याय संगत नहीं है। अखिल भारतीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के राष्ट्रीय महामंत्री सुभाष चौहान ने कहा कि वर्तमान समय में समाचार पत्रों में देखने को मिला है कि कतिपय जनपदों के विकास खंडों में अध्यापकों की सेवानिवृत्त होने जा रही है और आज तक सेवा पुस्तिका में संपूर्ण धनराशि की वर्षवार अंकना नहीं की गई है जिस कारण विकास खंड कालसी देहरादून से शिव कुमार ने आत्म हत्या करने की विभाग को चेतावनी दी है, जिसमें विभाग की घोर लापरवाही मानी जायेगी।यदि हमारे किसी भी अध्यापक साथी अध्यापिका बहिनों के साथ किसी भी प्रकार से अनहोनी होती है तो इसकी संपूर्ण जिम्मेदारी विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों की होगी।जिसमें संगठन किसी हद्द तक जाने को मजबूर होगा। चौहान ने यह भी कहा है कि आज 17-3-2025 से उतराखंड में बच्चों की वार्षिक परीक्षा चल रही हैं और कतिपय जनपदों के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों में आज से ही शिक्षकों का सेवारत प्रशिक्षण भी चल रहा है,जिसका प्रतिकूल प्रभाव बच्चों पर पढ़ रहा है,आखिर हम विभाग से पूछना चाहते हैं कि आप सरकारी विद्यालयों के बच्चों का भविष्य किस दिशा और दशा में ले जाना चाहते हैं।सुभाष चौहान ने यह भी कहा है कि कतिपय जनपदों के दूरस्थ विद्यालयों में एक या दो अध्यापकों के भरोसे विद्यालय चल रहें हैं जबकि उन विद्यालयों में छात्र संख्या अधिक है।इस दशा में गरीब बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है। हमारी विभाग व शासन से मांग है कि शिक्षकों की समय रहते समस्याओं का समाधान किया जाए,और प्रत्येक विद्यालय में प्रधानाध्यापक सहित पांच पद सृजित किए जाए,परीक्षा के दौरान किसी भी प्रकार से जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों में अध्यापकों का प्रशिक्षण नहीं करवाया जाए।जिसे सरकारी विद्यालयों में जनता का विश्वास बना रहें तभी जाकर विद्यालयों में छात्र संख्या बढ़ेंगी।
____________सुभाष चौहान महामंत्री
अखिल भारतीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ