टेक्निकल टैक्सटाइल: नवाचार और स्थिरता के साथ भारत के भविष्य का निर्माण
- श्री गिरिराज सिंह , केंद्रीय कपड़ा मंत्री
“परिवर्तन ही संसार का नियम है”- परिवर्तन ब्रह्मांड का नियम है। इस सशक्त संदेश के अनुरूप, भारत की वस्त्र विरासत बदलती दुनिया की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बदल रही है। तकनीकी वस्त्रों के बारे में हमारी यात्रा सिर्फ़ वस्त्र के संदर्भ में नहीं है, अपितु यह सपने बुनने, भविष्य को सुरक्षित करने और 1.4 बिलियन भारतीयों के लिए एक दीर्घकालिक कल तैयार करने के बारे में है। आज, मैं यह साझा करने में गर्व का अनुभव करता हूं कि कैसे भारत का तकनीकी वस्त्र क्षेत्र हमारे पूरे देश के जीवन में क्रांति ला रहा है। पैकटेक, इंडुटेक, मोबिलटेक, क्लॉथटेक, होमटेक, मेडिटेक, एग्रोटेक, बिल्डटेक, प्रोटेक, जियोटेक, स्पोर्टेक और ओकोटेक जैसे 12 विशेष खंडों के साथ यह हर तरह के उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है। दुनिया के पांचवें सबसे बड़े तकनीकी वस्त्र बाजार के रूप में, जिसका मूल्य 25 बिलियन डॉलर है और 2030 तक इसके 40 बिलियन डॉलर को पार करने का अनुमान है, भारत ने उल्लेखनीय निर्यात वृद्धि देखी है। यह 2014 में शून्य से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 3 बिलियन डॉलर हो चुकी है, जिसका लक्ष्य 2030 तक 10 बिलियन डॉलर है। पैकटेक, इंडुटेक और मोबिलटेक का निर्यात में 70 प्रतिशत की सहभागिता है, जो भारत की विनिर्माण क्षमता को उजागर करता है, जबकि बिल्डटेक क्षेत्र में 229 प्रतिशत की वृद्धि विशेष क्षेत्रों में विशेषज्ञता को दर्शाती है। इसके अलावा भारत ने अनुसंधान और विकास, उद्यमिता और स्थायी कार्य प्रणालियों के माध्यम से घरेलू मांग को प्रोत्साहित करते हुए बिल्डटेक, मेडिटेक, एग्रोटेक और अन्य उभरते क्षेत्रों सहित अन्य तकनीकी वस्त्र क्षेत्रों में निर्यात का विस्तार करने की योजना बनाई है।______अपने देश के आत्मनिर्भरता लक्ष्य का समर्थन करने के लिए, हम नायलॉन, कार्बन फाइबर, हाई-स्पेशलिटी फाइबर और अल्ट्रा-हाई-मॉलिक्यूलर-वेट पॉलीइथिलीन (यूएचएमडब्ल्यूपीई) जैसे महत्वपूर्ण कच्चे माल पर आयात निर्भरता को कम करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। जिस तरह भारत अपने रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए सेमीकंडक्टर में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कार्य कर रहा है, उसी तरह हम तकनीकी वस्त्रों के क्षेत्र में भी ऐसा ही करने की आकांक्षा रखते हैं। इसे हासिल करने के लिए, मोदी सरकार ने 1,480 करोड़ रुपए के समर्थन से राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (एनटीटीएम) का शुभारंभ किया। इस पहल ने पहले ही 509 करोड़ रुपए की 168 परियोजनाओं को स्वीकृति दे दी है और 5.79 करोड़ रुपए के साथ 12 स्टार्टअप को वित्त पोषित किया है। हम केवल वैश्विक प्रगति में योगदान नहीं दे रहे हैं, अपितु इसे आकार भी दे रहे हैं। हमारा विजन संख्याओं से परे है, जिसका लक्ष्य एक आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना है जो अपनी सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करते हुए नवाचार के माध्यम से आगे बढ़ता है। 2.5 वर्षों के भीतर टी100 कार्बन फाइबर के घरेलू उत्पादन के साथ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हमारी प्रतीक्षा कर रही है, जो महत्वपूर्ण रक्षा और एयरोस्पेस अनुप्रयोगों में हमारी आयात निर्भरता को काफी हद तक कम कर देगा। जबकि हम आयातित गैर-बुने हुए पदार्थों, कार्बन फाइबर, उच्च-विशिष्ट फाइबर, नायलॉन और यूएचएमडब्ल्यूपीई पर अपनी निर्भरता को कम करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। मुझे विश्वास है कि भारत वित्त वर्ष 2025-26 तक घरेलू कार्बन फाइबर उत्पादन का शुभारंभ कर देगा, जो आत्मनिर्भरता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम होगा। हमारा कृषि क्षेत्र तकनीकी वस्त्रों की परिवर्तनकारी क्षमता को प्रदर्शित करता है। नवोन्मेषी एग्रोटेक्सटाइल्स पिछले छह वर्षों में 5 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि के साथ 567 मिलियन डॉलर से अधिक के निर्यात को बढ़ावा दे रहे है। ग्रामीण भारत में एक किसान की कल्पना करें जो छाया के लिए जाल और गीली घास की चटाई का उपयोग कर रहा है और 40 प्रतिशत कम पानी का उपयोग करते हुए फसल की पैदावार में 30-40 प्रतिशत की वृद्धि का साक्षी बन रहा है। एनटीटीएम के अंतर्गत ग्यारह अभूतपूर्व परियोजनाओं के माध्यम से, जिसमें उत्तरी भारत वस्त्र अनुसंधान संघ (एनआईटीआरए) द्वारा सन हेम्प फसल कवर और दक्षिण भारत वस्त्र अनुसंधान संघ (एसआईटीआरए) द्वारा हर्बल-लेपित बीज बैग शामिल हैं, हम किसानों की आय में महत्वपूर्ण रूप से 67-75 प्रतिशत की वृद्धि देख रहे हैं। यह सही मायने में सतत विकास है।