श्रमणोपाध्याय श्री 108 विकसंत सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य मे जैन भवन स्थित मंदिर जी में नित्य नियम पूजा के साथ संगीतमय दस लक्षण महामंडल विधान हुआ..

जैन धर्म के पर्वाधिराज दसलक्षण महापर्व के आज दसवे दिन उत्तम ब्रहमचर्य धर्म के दिन परम पूज्य श्रमणोपाध्याय श्री 108 विकसंत सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य मे जैन भवन स्थित मंदिर जी में नित्य नियम पूजा के साथ संगीतमय दस लक्षण महामंडल विधान हुआ..
भगवान वासु पूज्य मोक्ष कल्याणक मनाया
दशलक्षण पर्व के अंतिम दिन भाद्र शुक्ल चतुर्दशी को जैन धर्म के 12 वे तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य का मोक्ष कल्याणक महोत्सव मनाया गया। इस मौके पर उपाध्याय श्री के सानिध्य में निर्वाण कल्याणक का आयोजन करते हुए निर्वाण लाडू चढ़ाए गए।

श्री जी रथ
ख वासी राजीव जैन
कुबेर देव जैन आदि जैन
सारथी उदित जैन

जिनवाणी रथ
अंजलि जैन खव्वासी
मेघा जैन सारथी
सोनल जैन कुबेर

आरती
कमल कुमार जैन

उत्तम ब्रह्मचर्य पर प्रकाश डालते हुए गुरुवार ने बताया कि हर इंसान को ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना चाहिए। वासना और पाखंड से मन को कभी भी विचलित नहीं होने देना चाहिए। नारी में माता,बहन का आदर लाना व्यवहार ब्रह्मचर्य है। हमें उत्तम ब्रह्मचर्य का पालन करके अपनी आत्मा में रमन करना चाहिए।कार्यक्रम की जानकारी देते हुए मीडिया प्रभारी मधु जैन ने बताया कि दिनांक 17 सितंबर अनंत चतुर्दशी के अवसर पर 8:30 बजे भगवान श्री वासु पूज्य मोक्ष कल्याणक मुख्य निर्वाण लड्डू एवं रथ यात्रा बोलियां लगाई गयी…. नेत्र एवं स्वास्थ्य परीक्षण निशुल्क दवा वितरण श्री मनोहर लाल जैन औषधालय द्वारा प्रातः 9:30 बजे जैन भवन में किया गया
आज की शोभायात्रा में बैंड बाजे के साथ प्रभु की भक्ति करते नृत्य करते हुए श्रद्धालुओं का जन सैलाब उम्र जिसमें सभी श्रद्धालुओं ने व्रत उपवास होते हुए भी रथ यात्रा संपन्न हुई
भव्य शोभायात्रा प्रातः रथ यात्रा संचालन जैन मिलन पारस द्वारा किया गया श्री जी की भव्य शोभायात्रा (रथयात्रा) गांधी रोड से प्रारंभ होकर आढ़त बाजार, तीर्थंकर महावीर चौक, जैन मंदिर झण्डा बाजार, अखाड़ा बाजार, सब्जी मण्डी, मोती बाजार कोतवाली, पल्टन बाजार, घण्टाघर, डिसपैन्सरी रोड, सरनीमल बाजार मंदिर जी, सर्राफा बाजार, राजा रोड, प्रिंस चौक होतु हुए पुनः जैन धर्मशाला, गाँधी रोड पहुँचेगी तत्पश्चात् श्री जी की आरती (बोली लेने वाले परिवार द्वारा) की गयी सायं 7.15 बजे – महाआरती, प्रतिक्रमण एवं प्रवचन हुए .

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