एसआरएचयू में अनुसंधान और जैव सांख्यिकी पर दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित-प्रतिभागियों ने हासिल की अनुसंधान में सांख्यिकीय की बुनियादी समझ

29-May-2024……एसआरएचयू में अनुसंधान और जैव सांख्यिकी पर दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित
-प्रतिभागियों ने हासिल की अनुसंधान में सांख्यिकीय की बुनियादी समझ
-कार्यशाला में शामिल हुए 35 प्रतिभागी
डोईवाला। स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) जौलीग्रांट में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को अनुसंधान में सांख्यिकीय के तरीकों की बुनियादी जानकारी दी।
हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एचआईएमएस) के कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग ने अनुसंधान और जैव सांख्यिकी की नींवः प्रभावी स्वास्थ्य विज्ञान अनुसंधान के लिए बिल्डिंग ब्लॉक्स विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया। विशेषज्ञ एम्स नई दिल्ली में बायोस्टैटिस्टिक्स विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ. आरएम पांडे ने अनुसंधान में सांख्यिकीय तरीकों की बुनियादी समझ के साथ प्रकाशन के लिए गुणवत्तापूर्ण शोध पत्र लिखने में प्रतिभागियों का मार्गदर्शन किया। एम्स नई दिल्ली में बाल रोग विभाग के डॉ. जीवा शंकर ने प्रतिभागियों को साहित्य समीक्षा आयोजित करने की कला, अनुसंधान में पूर्वाग्रह और भ्रमित करने वाले कारकों की भूमिका और डेटा की विशेषताओं के आधार पर विभिन्न सांख्यिकीय परीक्षण के बारे में विस्तार से जानकारी दी। एसआरएचयू के कुलपति डॉ. राजेंद्र डोभाल ने कहा कि सांख्यिकिय विशलेषण किसी भी अनुसंधान का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। उन्होंने कहा कि अनुसंधान के भविष्य को आकार देने वाले सबसे महत्वपूर्ण रुझानों में से एक प्रौद्योगिकी का तेजी से विकास होना है। बिग डेटा एनालिटिक्स से लेकर मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक, तकनीक हमारे शोध करने के तरीके को बदल रही है और वैज्ञानिक जांच के लिए नए रास्ते खोल रही है। हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के प्रिंसिपल डॉ. अशोक कुमार देवरारी ने स्वास्थ्य अनुसंधान में गुणवत्ता सुधार विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होनें कहा कि गुणवत्ता सुधार देखभाल को व्यवस्थित रूप से बेहतर बनाने के लिए स्वास्थ्य अनुसंधान का उपयोग किया जाता है। इसका उद्देश्य भिन्नता को कम करने, पूर्वानुमानित परिणाम प्राप्त करने, रोगियों, स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों और संगठनों के लिए परिणामों में सुधार करने के लिए आवश्यक मापदंडों को स्थापित करना है। कार्यशाला के आयोजक डॉ. अशोक कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि विश्वविद्यालय के विभिन्न शैक्षणिक विभागांे से 35 प्रतिभागी कार्यशाला में शामिल हुए। इस अवसर पर महानिदेशक (शैक्षणिक विकास) डॉ. विजेन्द्र चौहान, आकांक्षा उनियाल, अभिनव बहुगुणा उपस्थित रहे।