परम पूज्य 108 श्री विद्यासागर जी महामुनिराज के देवलोक गमन पर “विनयाँजलि सभा”……….युग दृष्टा ब्रह्मांड के देवता संत शिरोमणि आचार्य प्रवर 108 श्री विद्यासागर जी महामुनिराज के देवलोक गमन पर सकल दिगंबर जैन समाज के द्वारा परम पूज्य आचार्य श्री को अपनी भावाँजलि एवं विनयाँजलि देने हेतु एक सभा का आयोजन श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर एवम जैन भवन 60,गांधी रोड में किया गया……..इस मौके पर 105 क्षुल्लक श्री समर्पण सागर जी ने कहा कि
संत के दर्शन पुण्य है, संत ही तीरथ रूप।
काल पाय तीरथ फलै, तुरतहि संत अनूप॥
संत का दर्शन बहुत पुनीत होता है, संतजन तीर्थ के समान होते हैं। बल्कि तीर्थक्षेत्र तो कुछ समय के बाद फल देते हैं पर संत का सानिध्य, उनका सत्संग तत्काल फलदायक होता है।
अंत का भी अंत होता है..12 महीने कहां बसंत होता है
विश्व की करोड़ों लोगों की भीड़ में
एक मात्र विद्यासागर संत होता है
परम पूज्य आचार्य भगवान 108 महामुनिराज विद्यासागर जी महाराज की संलेखना पूर्वक समाधि अतिशय क्षेत्र डोंगरगढ़ में हुई।आचार्य श्री जी की आध्यात्मिक चेतना का सूर्य युगों-युगों तक भारतीय समाज के मन-मस्तिष्क को प्रकाशित करता रहेगा…
परमपूज्य विद्यासागर जी महाराज जो तप, त्याग, ध्यान, धारणा समाधि, समाधान के साक्षात् स्वरूप थे आज चिर समाधि में लीन हो गए। लाखों-लाख मनुष्यों के कष्टों का हरण करने वाले, उन्हें अपने इष्ट से मिलाने वाले, उनके अभीष्ट की पूर्ति करने वाले हे तीर्थ स्वरूप, हे तीर्थांकर परमपूज्य गुरुदेव विद्यासागर जी महाराज आपके श्री चरणों में दण्डवत प्रणाम, भावभीनी विनयांजलि..
सभा का संचालन अशोक जैन ने किया इस अवसर पर जैन समाज के अध्यक्ष विनोद जैन नरेश जैन राजेश जैन सुनील जैन पंकज जैन संजय जैन जी ने उनको विनयांजलि अर्पित की
इस मौके पर माला जैन प्राची जैन ने उनके जीवन पर आधारित कविता पाठ किया.. इस अवसर पर भारी संख्या में जैन धर्मावलंबीयो ने उनको स्मरण किया
इस मौके पर जैन समाज के सभी वरिष्ठ एवं गणमान्य लोग मौजूद रहे