कुष्ठ रोग छूआछूत की बीमारी नहीं …..विश्व कुष्ठ दिवस पर हिमालयन अस्पताल में चलाया जागरूकता अभियान


कुष्ठ रोग छूआछूत की बीमारी नहीं
विश्व कुष्ठ दिवस पर हिमालयन अस्पताल में चलाया जागरूकता अभियान
डोईवाला। विश्व कुष्ठ दिवस पर हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में त्वचा रोग विभाग की ओर से जन जागरूकता अभियान चलाया गया। इस दौरान अस्पताल की ओपीडी में आने वाले लोगों कुष्ठ रोग के बारे में जानकारी दी गयी।
मंगलवार को त्वचा रोग विभाग की ओपीडी व रजिस्ट्रेशन काउंटर में आने वाले मरीजों को कुष्ठ रोग से संबंधित पूछे जाने वाले प्रश्नों व उनके जवाब दिये गये। इस अवसर पर एमबीबीएस छात्र-छात्राओं ने पोस्टर प्रदर्शनी व नुक्कड़ नाटक के माध्यम से आमजन को कुष्ठ रोग से संबंधित जानकारी व बचाव के बारे में बताया। त्वचा रोग विभागाध्यक्ष डॉ. रश्मि जिंदल ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुये कुष्ठ रोग के लक्ष्ण व उपचार की जानकारी दी। कहा कि कुष्ठ रोग एक माइकोबैक्टीरियम कीटाणु से होता है। इसके शुरूवाती लक्षण त्वचा में सफेद व लाल रंग के धब्बे बन जाना, हाथ पैरों में सुन्नपन के साथ कमजोरी महसूस करना है। उन्होने कहा कि विभाग प्रतिवर्ष त्वचा रोग से जुड़ी सामाजिक भ्रांतियो के बारे में मरीजों को जागरूक करने के लिए इस तरह के आयोजन करता है। डॉ. वाईएस बिष्ट ने कहा कि कुष्ठ रोग का समय पर उपचार करा लिया जाए, तो यह बीमारी पूरी तरह ठीक हो सकती है। डॉ. समरजीत रॉय ने मरीजों को बताया गया कि यह एक भ्रांति है, कि कुष्ठ रोग छुआछूत से फैलता है यह बीमारी छूआछूत की बीमारी नही है। कुष्ठ रोग का उपचार संभव है और ये इसके प्रकार पर निर्भर करता है। संक्रमण को ठीक करने के लिए एंटीबायोटिक्स का उपयोग किया जाता है, आमतौर पर 6 महीने से एक साल तक इलाज चल सकता है। हालांकि अगर रोगी को तंत्रिकाओं में क्षति की समस्या है तो इसके लिए अन्य उपचार को प्रयोग में लाया जाता है। इस अवसर पर डॉ. दिक्षिता, डॉ. ऋतु, डॉ. अनुज, डॉ. अर्नव, डॉ. जागृति, डॉ. दर्शना, डॉ. वृंदा, डॉ. साक्षी, डॉ. शोभित, डॉ. ताबीर आदि उपस्थित थे।