योग नगरी ऋषिकेश के साधु संतों की समस्या का समाधान होगा कब इसी विषय में लगातार शासन प्रशासन को प्रार्थना पत्र के माध्यम से अवगत कराया कि उनकी समस्या का समाधान करना कितना आवश्यक है परंतु इस विषय पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई आपको बता दे की समस्या आखिर है क्या गंगा तट किनारे देश-विदेश से ध्यान योग करने के लिए साधक श्रद्धालु योग नगरी ऋषिकेश आते देश विदेश से शांति की खोज में अपनी साधना को सार्थक बनाने के लिए गंगा किनारे साधना करने व पूजा अर्चना कर मां की शांति को प्राप्त करते हैं अब ऐसे में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कहीं ना कहीं योग नगरी को कुछ नासमझ लोग कर रहे हैं दूषित देवभूमि कहीं जाने वाली उत्तराखंड के ऋषिकेश योग नगरी में गंगा जी में राफ्टिंग करने जो पर्यटक आते हैं समस्या उनके द्वारा अत्यधिक चर्चा में है गंगा तट किनारे ध्यान में बैठने वाले साधु संतों का कहना है कि जब वह ध्यान में बैठते हैं तो राफ्टिंग करने वाले बड़ी शोरगुल लाउड म्यूजिक बजाना और शराब का सेवन करना इन सभी के द्वारा उनकी साधना में समस्या उत्पन्न होती है जिसको देखते हुए आश्रम के साधु संतों द्वारा डीएम को प्रार्थना पत्र देकर इस समस्या का निवारण करने के लिए निवेदन किया गया है परंतु अभी तक इस समस्या का कोई निवारण नहीं हो पाया है साधु संतों का कहना है कि राफ्टिंग करना एक पर्यटक का अलग एंजॉयमेंट हो सकता है परंतु उसके साथ साधु संतों की योग साधना का भी ध्यान रखा जाना आवश्यक है ऋषि मुनियों साधु संतों से योग नगरी का वजूद जिंदा है परंतु आए दिन कुछ ना कुछ ऐसी घटनाएं सामने आती है जिससे कि योग नगरी के साधु संतों को अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है जिसके कारण में प्रार्थना पत्र में यह निवेदन किया गया है कि ध्यान साधना के केंद्र तक साइलेंट जोन घोषित किया जाए जिससे कि ध्यान में बैठे साधु संतों को किसी प्रकार का कोई कष्ट उत्पन्न ना हो विशेष रूप से योग नगरी में गंगा किनारे शराब का सेवन बंद किया जाए जिस पर कानून को कड़े नियम बनाने की आवश्यकता है संस्कृति को बचाने के लिए बनाए गए नियमों का सक्ती से पालन करने की निर्देश दिए जाएं जिससे कि योग नगरी को स्वच्छ रखा जा सके और साधु संतों के समस्या का निवारण हो सके