हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट में एन्डोवैस्कुलर विधि से की गयी सफल सर्जरी


हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट में एन्डोवैस्कुलर विधि से की गयी सफल सर्जरी
– छह घंटे चले ऑपरेशन में आओरटा एवं पैरों की नसों को स्टेंट ग्राफ्ट सिस्टम से खोला
डोईवाला । हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट के कार्डियोलॉजी विभाग ने एक व्यक्ति का जटिल आपरेशन कर उसे नया जीवन दिया। हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति की एक साल पहले एंजियोप्लास्टी भी हुयी थी।
रमेश शर्मा निवासी उधमसिंहनगर पेट में दर्द की शिकायत लेकर हिमालयन अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ. चन्द्र मोहन बेलवाल से मिले। इस दौरान उनकी कुछ आवश्यक जांचे करायी गयी। जांच में पता चला कि उनकी शरीर की सबसे बड़ी नस जिसे आओरटा कहा जाता है वह पेट के निचले हिस्से में गुब्बारे की तरह फूल गयी है और उससे पेट के अंदर रक्त का रिसाव हो रहा था। जिससे पैरों की तरफ जाने वाले रक्त का प्रवाह भी प्रभावित हो रहा था। सीटी स्कैन करवाने पर पता चला की उनकी पैरों की नसें भी पूर्ण रूप से बंद थी। इस बीमारी को एब्डोमिनल आओरटिक एन्यूरिज्म विद कंटेन्ड रप्चर कहा जाता है जो कि जानलेवा साबित हो सकती है। इसका इलाज शल्य चिकित्सा से होता है परन्तु इसके खतरे को देखते हुये मरीज को एन्डोवैस्कुलर विधि से सर्जरी का विकल्प दिया गया। मरीज की सहमति के बाद छह घंटे तक चले इस जटिल ऑपरेशन में आओरटा एवं पैरों की नसों को स्टेंट ग्राफ्ट सिस्टम की सहायता से खोला गया। इसके पश्चात मरीज को एक हफ्ते तक चिकित्सकों की कड़ी निगरानी में रखा गया। मरीज के स्वस्थ होने पर उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है। इस जटिल सर्जरी को सफल बनाने में कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ. चन्द्र मोहन बेलवाल, डॉ. अनुराग रावत, डॉ. कुनाल गुरूरानी, कार्डियक सर्जरी विभाग से डॉ. भावना सिंह, एनेस्थिसिया से डॉ. कीर्ति ने सहयोग किया। डॉ. चन्द्र मोहन बेलवाल ने बताया कि हिमालयन अस्पताल में पहली बार इस तरह की सर्जरी की गयी। उन्होंने बताया कि एन्डोवैस्कुलर विधि से की गयी सर्जरी में मरीज को तुरंत लाभ तो मिलता ही और इसमें जोखिम भी कम होता है।