श्री रामलीला महोत्सव

राजपुर, देहरादून- *श्री आदर्श रामलीला ट्रस्ट राजपुर द्वारा आयोजित 74 वे श्री रामलीला महोत्सव में रामदल की ओर से आये दूत के रुप में अंगद के समझाने पर भी ना माने रावण के समक्ष युद्ध का ऐलान हो गया। युद्ध के ऐलान के अनुसार ही दोनों दलों में युद्ध की रणनीतियां बनाई जाने लगी। रावण की ओर से इंद्रजीत मेघनाद द्वारा कृत युद्धघोष का सामना लक्ष्मण ने रणक्षेत्र में किया। घनघोर युद्ध हुआ दोनों ओर के सैनिक मारे जाने लगे। युद्ध में हनुमान, सुग्रीव और लक्ष्मण को अपने पर भारी पड़ते देख मेघनाद द्वारा छल बल से रणनीति बनाई गई जिसके अनुसार राक्षस सेना युद्ध करते हुए सुग्रीव और हनुमान आदि महाबलियों को रणक्षेत्र से दूर ले जायें, जिसका फायदा उठा कर मेघनाद मायावी छल बल का प्रयोग करके शक्ति का प्रयोग कर लक्ष्मण को क्षति पहुंचा सके। मेघनाद ने ठीक ऐसा ही किया रणक्षेत्र में लक्ष्मण को अकेला पाकर मायावी छल बल से शक्ति का प्रयोग कर लक्ष्मण को मूर्च्छित कर विजयश्री का जयघोष करता हुआ रणक्षेत्र से लंका की ओर चला गया। जिससे लंका में जयघोष होने लगा, वहीं रणक्षेत्र में मूर्च्छित पड़े लक्ष्मण को देखकर सभी स्तब्ध रह गये। हनुमान सुग्रीव अंगद आदि रामादल में मूर्च्छित अवस्था में लक्ष्मण को देखकर हा हा हाकार मंच गया दिया। हनुमान, सुग्रीव आदि लक्ष्मण को मूर्च्छित अवस्था में ही उठा कर श्री राम के पास ले गये, जहां मूर्च्छित अवस्था में लक्ष्मण को देखकर राम अत्यंत दुखी होकर विलाप करने लगे, राम कहने लगे कि अब मैं माता कौशल्या और माता सुमित्रा को क्या उत्तर दूंगा,तभी विभीषण ने श्री राम को बताया कि लंका में सुषैन नाम का वैद्य रहते हैं,जो लक्ष्मण जी का उपचार कर सकते हैं,किंतु सुषैन वैद्य लंका के राज वैद्य है। जिनका यहां आना संभव नहीं है। श्री राम से आज्ञा पाकर हनुमानजी सुषैन वैद्य को ढूंढ ढांढ कर लें आते हैं। सुषैन वैद्य द्वारा मूर्च्छित लक्ष्मण की नाडी देखकर संजीवनी बूटी को सूर्योदय से पूर्व ही लाने को कहते हैं। हनुमान अपने बुध्दि बल कौशल से सुषैन वैद्य को ढूंढ कर लें आते है।, जिसके सुंघाने एवं उपयोगी करने से लक्ष्मण जी की मूर्च्छित अवस्था टूट जाती है और लक्ष्मण स्वस्थ हो जाते हैं । इस समाचार को सुनकर क्रोध में आकर रावण अपने भाई कुम्भ करण को निंद्रा से जगाते हैं। पहले तो कुंभकर्ण भी रावण को समझाकर नीति समझाकर सीता को वापिस करने का परामर्श देता है किन्तु जब रावण द्वारा लंका की इज्जत का सवाल बताने पर कुंभकर्ण युद्ध के लिए तैयार हो जाता है। इस प्रकार रणक्षेत्र में कुंभकर्ण और श्री राम का बहुत भयानक युद्ध होता है। लंबे समय तक बड़ा ही भयानक युद्ध होता है, जिससे रामादल के सैनिकों की भारी क्षति होती है तभी भगवान श्री राम द्वारा कुंभकर्ण का वध बड़ी समझदारी से होता है।*
लीला में अतिथि के रुप में डॉ अश्वनी काम्बोज,श्री लच्छू गुप्ता,श्री मोती दीवान- जी ने पधारकर गीत संगीतमई लीला के प्रभावी मंचन की मुक्त कंठ से सराहना की श्री आदर्श रामलीला ट्रस्ट के डायरेक्टर श्री शिवदत्त, चरण सिंह तथा प्रधान -योगेश अग्रवाल के प्रभावी निर्देशन में लक्ष्मण शक्ति तथा कुंभकर्ण वध की अति मार्मिक लीला का मंचन कलाकारों द्वारा कर प्रस्तुत श्रृद्धालु दर्शकों के हृदय पर अमिट प्रभाव पडा
श्री आदर्श रामलीला ट्रस्ट के संरक्षक- विजय जैन, जय भगवान साहू,प्रधान – योगेश अग्रवाल,उप प्रधान संजीव गर्ग, राजकुमार गोयल, भारत भूषण गर्ग मंत्री -अजय गोयल, कोषाध्यक्ष -नरेन्द्र अग्रवाल, उपकोषाध्यक्ष-श्रवण अग्रवाल, वेद साहू, उपमंत्री-अशोक साहू,आडिटर- ब्रह्मप्रकाश वेदवाल,संजय धीमान,अमन अग्रवाल,डॉ विशाल अग्रवाल, मोहित अग्रवाल,डायरेक्टर – शिवदत्त अग्रवाल,चरण सिंह, अमन कन्नौजिया,करन कन्नौजिया,निशांत गोयल विभू वेदवाल,आदि के सक्रिय सहयोग से भारी संख्या में दर्शकों की उपस्थिति में लीला ने दर्शकों के हृदय पर अमिट छाप छोडी।
निवेदक-
🙏योगेश अग्रवाल🙏 प्रधान -श्री आदर्श रामलीला ट्रस्ट राजपुर, देहरादून।