नवरात्रि के अंतिम दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा होती है। मां देवी सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं। पुराणों में यहाँ तक बताया गया है कि भगवान शिव को भी अपनी सिद्धियां इन देवी की पूजा से ही प्राप्त हुई थीं। सिद्धिदात्री माता के कारण ही अर्धनारीश्वर का जन्म हुआ। इनका वाहन सिंह है। चतुर्भुज देवी के दाएं और के ऊपर वाले हाथ में गदा और नीचे वाले हाथ में चक्र रहता है। बाएं और ऊपर वाले हाथ में कमल का पुष्प एवं नीचे वाले हाथ में शंख रहता है। मां की पूजा कर हलवा, चना, पूरी, खीर आदि का भोग लगाएं। सभी सिद्धि प्राप्त करने के लिए मां की सच्चे और साफ मन से की गई उपासना से सिद्धि प्राप्त होती हैं जिससे जग का कल्याण किया जा सकता है … मां की पूजा का मंत्र है “ॐ महालक्ष्मी विदमहे, विष्णु प्रियाय धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात। ‘ एवं “या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रूपेण ” संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।”