मां कालरात्रि……..भय से मुक्ति प्रदान करने वाली देवी कालरात्रि की पूजा हम नवरात्रि के सातवें दिन करते हैं। इनकी पूजा से प्रतिकूल ग्रहों द्वारा उत्पन्न दुष्प्रभाव और बाधाएं भी नष्ट हो जाती हैं। माता का यह रूप उग्र एवं भय वाला है लेकिन अपने भयावह रूप के बाद भी यह भक्तों को शुभ फल प्रदान करती हैं। मां देवी काल पर भी विजय प्राप्त करने वाली हैं। मां कालरात्रि का वर्ण घोर अंधकार की भांति काला है, बाल बिखरे हुए हैं तथा अत्यंत तेजस्वी तीन नेत्र हैं। मां के चार हाथों में से दो हाथ अभय मुद्रा और वर मुद्रा में होते हैं तथा शेष दोनों हाथों में चंद्रहास खडग अथवा दरांती एवं नीचे की ओर वज्र (कांटेदार कटार) होती है। माता का वाहन गधा होता है। सातवें दिन देवी के इस रूप को गुड़ अर्पित करने से बाधाओं से मुक्ति मिलती है। मां काली की पूजा करने वाले भक्तों पर कभी कोई कष्ट नहीं आता और मां भक्तों के दुश्मनों का सर्वनाश कर देती है मां काली की विधि विधान से पूजा करने वाले भक्तों को ब्रह्मांड में कोई पराजित नहीं कर पाता सच्चे मन से मन की आराधना करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं माता पूर्ण करती है मां की पूजा का मंत्र है “ओम एं ह्रीं क्लीं चामुंडाए विच्चे नमः।”