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नवरात्रि के पांचवे दिन देवी स्कंदमाता का पूजन किया जाता है। माता का वर्ण पूर्णत: श्वेत है और यह इनका रूप चतुर्भुज है। ऊपर वाली दाहिनी भुजा में बालरूप स्कंद को पकड़े रहती हैं और ऊपर वाली बाई भुजा से आशीर्वाद देती हैं। नीचे वाली दोनों भुजाओं में माता ने कमल पुष्प धारण किया हुआ है। इनका वाहन सिंह है। वात्सल्य विग्रह होने के कारण माता के इस रूप में कोई शस्त्र नहीं होता। इनकी उपासना से भक्तगण मृत्यु लोक में भी परम शांति और सुख प्राप्त कर सकते हैं। देवी का यह रूप ज्ञान का प्रतीक है। इस दिन माता की पूजा करने के बाद केले का भोग अर्पण करने से परिवार में सुख शांति आती है। इनकी पूजा का मंत्र है “या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।”