द्वितीय दुर्गा मां ब्रह्मचारिणी…… परम ब्रह्म जिसका न आदि है न कोई अंत, उसी ब्रह्म सरूपा चेतना का स्वरूप है मां ब्रह्मचारिणी। नवरात्रि के दूसरे दिन इन देवी की पूजा की जाती है। नारद मुनि के कहने पर इन देवी ने शिवजी को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी और उन्हें ब्रह्म ज्ञान प्राप्त हुआ था, इसीलिए इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। जो भक्त ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा करते हैं, उनको असीमित व अनंत शक्तियों का वरदान प्राप्त होता है। मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में कमंडल और दूसरे हाथ में जप की माला रहती है। देवी दुर्गा का यह स्वरूप हमें संघर्ष से विचलित हुए बिना सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। मां ब्रह्मचारिणी को कमल और गुड़हल के पुष्प अर्पित करने चाहिए तथा चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग लगाना चाहिए। इससे देवी प्रसन्न होकर हमें दीर्घायु एवं सौभाग्य प्रदान करती हैं। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का मंत्र है – “या देवी सर्वभूतेषु सृष्टि रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।”