नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री का पूजन किया जाता है। पर्वतराज हिमालय के घर देवी ने पुत्री के रूप में जन्म लिया और इसी कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। प्रकृति का प्रतीक मां शैलपुत्री जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता का सर्वोच्च शिखर प्रदान करती हैं। शैलपुत्री के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल रहता है तथा इनका वाहन वृषभ (बैल) है। मां के इस रूप को लाल और सफेद रंग की वस्तुएं पसंद होने के कारण इस दिन लाल और सफेद पुष्प एवं सिंदूर अर्पित करें और दूध की मिठाई का भोग लगाएं। मां शैलपुत्री का पूजन घर के सभी सदस्य के रोगों को दूर करता है एवं घर से दरिद्रता को मिटा संपन्नता को लाता है। इनकी पूजा का मंत्र है – “या देवी सर्वभूतेषु प्रकृति रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।”