हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट मैं नियोनेटोलॉजी पर कार्यशाला

हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट मैं नियोनेटोलॉजी पर कार्यशाला
-उत्तराखंड के विभिन्न अस्पतालों के कुल 41 प्रतिभागियों ने भाग लिया

डोईवाला@BHVN…….हिमालयन हास्पिटल जौलीग्रांट के बाल रोग विभाग व उत्तराखण्ड नियोनेटोलॉजी सोसायटी एवं नेशनल नियोनेटोलॉजी फोरम ऑफ  इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में नियोक्विप कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें उत्तराखंड के विभिन्न अस्पतालों के कुल 41 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एचआईएमएस) के प्रिंसिपल डॉ. अशोक देवरारी ने कहा की शिशु की मृत्यु दर में कमी लाने के लिए डिलीवरी रूम से ही मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत है। अगर हम जन्म के शुरू के कुछ घंटे मां और बच्चे को साथ रखें और दूध पिलाना शुरू करें तो इससे शिशु और मां दोनों को स्वास्थ्य लाभ होगा। अधिकांश शिशु जिनको निगरानी की जरूरत रहती है, उन्हें लेवल 2 एसएनसीयू में रखा जाता है। जिसके लिए प्रशिक्षण इस कार्यशाला में दिया जाएगा। कोलकाता से आए एनएनएफ के प्रभारी डॉ. असीम मल्लिक ने कहा की उत्तराखंड में शिशु मृत्यु दर एक चिंताजनक विषय है। इसमें सुधार के लिए ऐसी कार्यशालाएं कारगर साबित होंगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया की क्वालिटी इंप्रुवमैंट से हर फैसिलिटी को अपनी समस्याओं के निस्तारण और सुधार की दिशा में प्रयासरत रहना चाहिए। उत्तराखंड नियोनेटोलॉजी सोसायटी के सचिव डॉ राकेश कुमार ने बताया कि प्रतिभागियों को कार्यशाला में सही ऑक्सीजन देने, सीपैप, दूध पिलाने के तरीके, इन्फेक्शन कम करने, और क्वालिटी इंप्रूवमेंट के तरीकों के बारे में प्रशिक्षण दिया गया। कार्यशाला में बतौर ट्रेनर डॉ ऋतु रखोलिया, डॉ नीरूल पंडिता, डॉ पूनम सिंह, एरा दयाल, डॉ शांतनु शुभम, डॉ सैकत पात्रा, डॉ रवि सहोता, डॉ मयंक प्रियदर्शी, डॉ चिन्मय चेतन, डॉ आएशा नाज़ शामिल थे। प्रतिभागियों ने बताया की कार्यशाला से उनके काम में काफी सुधार होगा। न्योक्विप में ऑनलाइन पढ़ाई भी चल रही है जो छह सप्ताह तक चलेगी। कार्यक्रम में प्रो बी पी कालरा, प्रो जूही, माधुरी त्रिपाठी,तेनजिन चीमी और अन्य शामिल थे।