@BHVN……. साथियों आजकल प्रिंट मीडिया में बरसात में छुट्टियों की खबर प्रमुखता से छप रही है, संगठन के कुछ पदाधिकारियों का वर्जन भी उसमें छपा है। इस बात से सभी विज्ञ है कि बरसात में आपदाओं के चलते विद्यालयों का संचालन नहीं हो पाता, लेकिन यदि विभाग बरसात में अवकाश करने की बात करता है तो सबसे पहली बात इसकी अवधि क्या होगी और कितने दिन की होगी, और इस बात की क्या गारंटी है कि उस अवधि में तेज बारिश होगी, बारिश तो कभी भी हो सकती है, केदारनाथ आपदा तो जून में आई थी।
दूसरा यदि गर्मियों की छुट्टियों के बदले माह जुलाई में अवकाश किया जाता है तो प्रदेश के जो मैदानी जिले हैं वहां पर गर्मी के चलते पठन-पाठन किस तरह से हो पाएगा इस पर भी विचार किया जाना चाहिए और क्या प्रदेश के शिक्षक जून के बदले माह जुलाई में अवकाश चाहेंगे। क्योंकि हमें ऐसा नहीं लगता कि विभाग जून में भी अवकाश करेगा, जनवरी में भी अवकाश करेगा और जुलाई में भी अवकाश करेगा।
इसका समाधान यही है जो वर्तमान में व्यवस्था चल रही है वही सही है जिसमें मौसम विभाग के रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी अवकाश घोषित करता है क्योंकि यदि यह अधिकार प्रधानाध्यापक को भी दे दिया जाए तो वह किस आधार पर अवकाश करेगा उसके पास तो ऐसा कोई तंत्र नही है जिससे वह पता लगा सके कि कल बारिश होगी, और यदि उसने अवकाश कर दिया और बारिश नहीं हुई जैसा कि अक्षर होता है तो उसके ऊपर कार्यवाही की तलवार लटकी रहेंगी।
अत; हमारा विचार है कि इस विषय पर सभी शिक्षकों से विचार कर अंतिम , निर्णय लिया जाना चाहिए।