डोईवाला@#BHVN……………. हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस के उपलक्ष्य में जागरूकता अभियान चलाया गया। जिसमें महिलाओं को इस बीमारी के लक्ष्ण व इलाज की जानकारी दी गयी।
बुधवार को स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की ओर से जागरूकता कार्यक्रम में मुख्य अतिथि हिमालयन आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रिंसिपल डॉ. अशोक देवरारी ने कहा कि हर साल 21 मार्च को वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम एक जेनेटिक डिसआर्डर है। जो बच्चों को जन्म से ही प्रभावित करता है। उन्हें अपना पूरा जीवन किसी न किसी अक्षमता के साथ गुजारना पड़ता है। स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष डॉ. रूचिरा नौटियाल ने बताया कि हिमालयन हॉस्पिटल में डाउन सिंड्रोम की पहचान एवं जांच एवं गर्भावस्था की पहली तिमाही में एक विशेष अल्ट्रासाउंड व खून जांच की सुविधा अस्पताल में उपलब्ध है। उचित परामर्श के बाद सभी गर्भवती स्त्रियां इससे लाभान्वित हो रही है। उन्होंने कहा कि 70 प्रतिशत महिला जो डाउन सिंड्रोम होता वह तीस साल से कम की होती है। हिमालयन अस्पताल में ऐसी सभी महिलाओं प्रसव से पूर्व जांच करायी जाती है। आमतौर पर एक बच्चा 46 क्रोमोसोम के साथ पैदा होता है। डाउन सिंड्रोम वाले शिशुओं में इनमें से किसी एक क्रोमोसोम की अतिरिक्त कॉपी होती है जिसे ट्राइसॉमी कहा जाता है। यह अतिरिक्त क्रोमोसोम बच्चे के शरीर और मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करता है। यह शिशु के लिए मानसिक और शारीरिक दोनों तरह की चुनौतियों का कारण बन सकता है। कार्यक्रम में मुख्य चिकित्साधीक्षक डॉ. एसएल जेठानी, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिल रावत ने भी सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे के इलाज के विषय में जानकारी दी। इस अवसर पर डॉ. पूर्णिमा, डॉ. रश्मि, डॉ. आंचल, डॉ. निधि, राखी आदि ने अपना सहयोग दिया।