हर हर महादेव जय बाबा केदार आप सभी को महाशिवरात्रि की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं

महाशिवरात्रि हिन्‍दू धर्म के प्रमुख त्‍योहरों में से एक है. शिव भक्‍त साल भर अपने आराध्‍य भोले भंडारी की विशेष आराधना के लिए इस दिन की प्रतीक्षा करते हैं. इस दिन शिवालयों में शिवलिंग पर जल, दूध और बेल पत्र चढ़ाकर भक्‍त शिव शंकर को प्रसन्‍न करने की कोशिश करते हैं. मान्‍यता है कि महाशिवरात्रि के दिन जो भी भक्‍त सच्‍चे मन से शिविलंग का अभिषेक या जल चढ़ाते हैं उन्‍हें महादेव की विशेष कृपा मिलती है. कहते हैं कि शिव इतने भोले हैं कि अगर कोई अनायास भी शिवलिंग की पूजा कर दे तो भी उसे शिव कृपा प्राप्‍त हो जाती है. यही कारण है कि भगवान शिव शंकर को भोलेनाथ कहा गया है. आपको बता दें कि हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन आने वाली शिवरात्रि को सिर्फ शिवरात्रि कहा जाता है. लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी के दिन आने वाले शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहते हैं. साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है.शिवरात्रि मनाए जाने को लेकर तीन मान्‍यताएं प्रचलित हैं :एक पौराणिक मान्‍यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही शिव जी पहली बार प्रकट हुए थे. मान्‍यता है कि शिव जी अग्नि ज्‍योर्तिलिंग के रूप में प्रकट हु थे, जिसका न आदि था और न ही अंत. कहते हैं कि इस शिवलिंग के बारे में जानने के लिए सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा ने हंस का रूप धारण किया और उसके ऊपरी भाग तक जाने की कोशिश करने लगे, लेकिन उन्‍हें सफलता नहीं मिली. वहीं, सृष्टि के पालनहार विष्‍णु ने भी 12 रूप धारण कर उस शिवलिंग का आधार ढूंढना शुरू किया लेकिन वो भी असफल रहे.एक अन्‍य पौराणिक मान्‍यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही विभन्नि 64 जगहों पर शिवलिंग उत्‍पन्न हुए थे. हालांकि 64 में से केवल 12 ज्‍योर्तिलिंगों के बारे में जानकारी उपलब्‍ध. इन्‍हें 12 ज्‍योर्तिलिंग के नाम से जाना जाता है.तीसरी मान्‍यता के अनुसार महाशिवरात्रि की रात को ही भगवान शिव शंकर और माता शक्ति का विवाह संपन्न हुआ था.

महाशिवरात्रि के व्रत में पूजा सामग्री

शमी के पत्ते, सुगंधित पुष्‍प, बेल पत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, गाय का कच्चा दूध, गन्‍ने का रस, दही, शुद्ध देसी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, कपूर, धूप, दीप, रूई, चंदन, पंच फल, पंच मेवा, पंच रस, इत्र, रोली, मौली, हल्दी, जनेऊ, पंच मिष्‍ठान, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री, पूजा के बर्तन आदि.

महाशिवरात्रि की पूजन विधि -महाशिवरात्रि के दिन सुबह-सवेरे उठकर स्‍नान कर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें और व्रत का संकल्‍प लें.इसके बाद शिव मंदिर जाएं या घर के मंदिर में ही शिवलिंग पर जल चढ़ाएं.जल चढ़ाने के लिए सबसे पहले तांबे के एक लोटे में गंगाजल लें. अगर ज्‍यादा गंगाजल न हो तो सादे पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाएं.अब गोमुखी या लोटे में चावल और सफेद चंदन मिलाएं और “ऊं नम: शिवाय” बोलते हुए शिवलिंग पर जल चढ़ाएं.जल चढ़ाने के बाद चावल, बेलपत्र, सुगंधित पुष्‍प, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ, गाय का कच्‍चा दूध, गन्‍ने का रस, दही, शुद्ध देसी घी, शहद, पंच फल, पंच मेवा, पंच रस, इत्र, मौली, जनेऊ और पंच मिष्‍ठान एक-एक कर चढ़ाएं.अब शमी के पत्ते चढ़ाते हुए ये मंत्र बोलें: -अमंगलानां च शमनीं शमनीं दुष्कृतस्य च।दु:स्वप्रनाशिनीं धन्यां प्रपद्येहं शमीं शुभाम्।।शमी के पत्ते चढ़ाने के बाद शिवजी को धूप और दीपक दिखाएं.फिर कर्पूर से आरती कर प्रसाद बांटें.शिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण करना फलदाई माना जाता है महाशिवरात्रि के दिन शिव पुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करना चाहिए.बेलपत्र चढ़ाने का मंत्र -नमो बिल्ल्मिने च कवचिने चनमो वर्म्मिणे च वरूथिने चनमः श्रुताय च श्रुतसेनाय चनमो दुन्दुब्भ्याय चा हनन्न्याय चनमो घृश्णवे॥दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनम्‌ पापनाशनम्‌।अघोर पाप संहारं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌॥त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम्‌।त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्‌॥अखण्डै बिल्वपत्रैश्च पूजये शिव शंकरम्‌।कोटिकन्या महादानं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌॥गृहाण बिल्व पत्राणि सपुश्पाणि महेश्वर।सुगन्धीनि भवानीश शिवत्वंकुसुम प्रिय।

रात्रि जागरण करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है इसी दिन रात्रि में भक्तों द्वारा भगवान शिव की बारात निकाली जाती है ऐसा माना जाता है कि इसी दिन शिव जी और माँ शक्ति की शादी हुई थी। इस दिन केवल एक समय का भोजन अर्थात फल का सेवन कर सकते है। कई सारे भक्त इस दिन निर्जला उपवास रखते है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को गंगा जल चढ़ाने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराकर ‘ॐ नमः शिवायः’ मंत्र से पूजा करनी चाहिए। इसके बाद रात्रि के चारों प्रहर में शिवजी की पूजा करनी चाहिए और अगले दिन प्रातःकाल ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देकर उपवास खोलना चाहिए …….

महाशिव रात्रि पर राशि अनुसार ख़ास उपाय

मेष राशि : मेष राशि का स्वामी मंगल है इस राशि के जातक भगवान शिव का अभिषेक कच्चे दुघ एवम दही से करे साथ ही भगवान शिव को पूजा मे गुलाब के फूल अर्पित करे।

वृषभ राशि : वृषभ राशि का स्वामी शुक्र है इस राशि के जातक भगवान शिव का अभिषेक गन्ने के रस से करे साथ ही भगवान शिव को मोगरे का इत्र भी अर्पित करे।

मिथुन राशि : मिथुन राशि का स्वामी बुध है इस राशि के जातक भगवान शिव तो बिल्व पत्र अर्पित करे साथ ही ओम नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करे।

कर्क राशि : कर्क राशि का स्वामी चंद्र है इस राशि के जातक भगवान शिव का अभिषेक कच्चे दूध मे शक्कर मिलकर करे साथ ही चंद्र शेखर स्त्रोत का भी पाठ करे।

सिंह राशि : सिंह राशि का स्वामी सुर्य है तथा इस राशि के जातक भगवान शिव का अभिषेक जल से करे साथ ही भगवान शिव को सफेद मिठाई का भोग भी लगाए

कन्या राशि : कन्या राशि का स्वामी बुध है तथा इस राशि के जातक भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करे साथ ही शिव तांडव स्त्रोत का भी पाठ करे।

तुला राशि : तुला राशि का स्वामी शुक्र है इस राशि के जातक भगवान शिव का अभिषेक पानी मे इत्र डालकर करे इसके बाद भगवान शिव का चंदन से स्रिंगार करे।

वृश्चिक राशि : इस राशि का स्वामी मंगल है तथा इस राशि के जातक भगवान शिव का शहद से अभिषेक करे तथा भगवान शिव को लाल मसूर की दाल भी अर्पित करे।

धनु राशि : इस राशि का स्वामी गुरु है तथा इस राशि के जातक भगवान शिव का चावल से सृंगार करे तथा पीली मिठाई का भोग भी लगाएं।

मकर राशि : इस राशि का स्वामी शनि है तथा इस राशि के जातक भगवान शिव का अभिषेक दूध

मे गंगाजल मिलाकर करे साथ ही भगवान शिव को सूखे मेवे का भोग भी लगाएं।

कुंभ राशि : इस राशि का स्वामी शनि है तथा इस राशि के जातक भगवान शिव का अभिषेक जल के साथ ही शिव चालीसा का भी पाठ करे।

मीन राशि : मीन राशि का स्वामी गुरु है तथा इस राशि के जातक भगवान शिव का अभिषेक दूध मे केसर मिलकर करे साथ ही कपूर जलाकर भगवान की आरती करे।

ज्योतिष शास्त्र में साधना के लिए तीन रात्रि विशेष मानी गई हैं।

इनमें शरद पूर्णिमा को मोहरात्रि, दीपावली की कालरात्रि तथा महाशिवरात्रि को सिद्ध रात्रि कहा गया है।

महाशिवरात्रि को शिव पुराण और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। इस व्रत को लेकर कई नियम भी बताए गए हैं।


शिव पूजा के दौरान न करें ये 7 गलतियां
शंख जल- भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के असुर का वध किया था। शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है जो भगवान विष्णु का भक्त था इसलिए विष्णु भगवान की पूजा शंख से होती है शिव की नहीं।
पुष्प- भगवान शिव की पूजा में केसर, दुपहरिका, मालती, चम्पा, चमेली, कुन्द, जूही आदि के पुष्प नहीं चढ़ाने चाहिए।
करताल- भगवान शिव के पूजन के समय करताल नहीं बजाना चाहिए।
तुलसी पत्ता- जलंधर नामक असुर की पत्नी वृंदा के अंश से तुलसी का जन्म हुआ था जिसे भगवान विष्णु ने पत्नी रूप में स्वीकार किया है। इसलिए तुलसी से शिव जी की पूजा नहीं होती है।
काला तिल- यह भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ माना जाता है इसलिए इसे भगवान शिव को नहीं अर्पित किया जाना चाहिए।
टूटे हुए चावल- भगवान शिव को अक्षत यानी साबुत चावल अर्पित किए जाने के बारे में शास्त्रों में लिखा है। टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध होता है इसलिए यह शिव जी को नहीं चढ़ाया जाता है।
कुमकुम- यह सौभाग्य का प्रतीक है जबकि भगवान शिव वैरागी हैं इसलिए शिव जी को कुमकुम नहीं चढ़ता।

नव ग्रह शांति के लिए वार अनुसार ख़ास उपाय

सोमवार : सोमवार चंद्र देव का वार है इसलिए शिवलिंग पर कक्चा दूध अवश्य अर्पित करे . साथ ही ओम श्री चंद्र देवाय नमः मंत्र का भी जाप करे इससे चंद्र ग्रह के दोष मे शांति मिलती है।

मंगलवार : मंगलवार मंगल देव का वार इसलिए शिवलिंग पर लाल मसूर की दल अवश्य अर्पित करे साथ ही ओम श्री मंगल देवाय नमः मंत्र का भी जाप करे इससे मंगल ग्रह के दोष मे शांति मिलती है।

बुधवार : बुधवार बुध देव का वार है इसलिए प्रति बुधवार शिवलिंग पर द्रुवा (एक प्रकार की घास) अवश्य अर्पित करे साथ ही ओम बुध देवाय नमः मंत्र का भी जाप करे इससे बुध ग्रह के दोष मे शांति मिलती है।

गुरुवार : गुरुवार देव गुरु बृहस्पति का वार है इस दिन शिवलिंग पर चने की दाल अवश्य अर्पित करे साथ ही ओम गुरुवे नमः मंत्र का भी जाप करे इससे गुरु ग्रह के दोष मे शांति मिलती है।

शुक्रवार : शुक्रवार देत्य गुरु शुक्र का वार है इस दिन शिवलिंग पर चावल अवश्य अर्पित करे लेकिन ध्यान रखे चावल खंडित ना हो साथ ही ओम शुक्राय नमः मंत्र का भी जाप करे इससे शुक्र ग्रह के दोष मे शांति मिलती है।

शनिवार : शनिवार शनि देव का वार है इस दिन शिवलिंग का जल मे काले तिल मिलकर अभिषेक करे साथ ही ओम सूर्यपुत्राय नमः मंत्र का भी जाप करे इससे शनि ग्रह के दोष मे शांति मिलती है।
शनिवार : जो जातक राहु ओर केतु के दोषो से परेशान वे शनिवार के दिन शिवलिंग का जल मे काले तिल मिलकर अभिषेक करे साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का भी जाप करे इससे राहु ओर केतु ग्रह के दोष मे शांति मिलती है।

रविवार : रविवार सूर्य देव का वार है इस दिन शिवलिंग पर गेहू अवश्य अर्पित करे साथ ही ओम सूर्याय नमः मंत्र का भी जाप करे इससे सूर्य ग्रह के दोष मे शांति मिलती है।

जय बाबा केदार किसी भी प्रकार के उपाय करने से पूर्व अपने विशेषज्ञ पंडित जी से विचार विमर्श कर उपाय करें 🙏🚩🚩🚩🙏🪔🪔🪔🕉️🕉️🕉️☘️🪴🌿🍇🍏🍎📿📿📿💐💐💐