पुनर्वास पर एक नया एम टेक कार्यक्रम स्थापित किया है।प्रो. के.के. पंत ने जल सुरक्षा और बांधों की सुरक्षा के प्रति आईआईटी रुड़की की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की। प्रो. यू.पी. सिंह, उप निदेशक ने देश और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की अपेक्षाओं को पूरा करने हेतु बांधों के लिए अंतर्राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र विकसित करने के लिए आईआईटी रुड़की की ओर से सर्वोत्तम प्रयासों का आश्वासन दिया।
आईआईटी रुड़की में बांध सुरक्षा और पुनर्वास कार्यक्रम के समन्वयक प्रो. एन.के. गोयल ने आईआईटी रुड़की में आईसीईडी की स्थापना की जिम्मेदारी सौंपने के लिए एमओजेएस को धन्यवाद दिया और बांध सुरक्षा और पुनर्वास के प्रति आईआईटी रुड़की में संकाय सहयोगियों और छात्रों की प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया। उन्होंने इस कार्यक्रम के लिए आईआईटी रुड़की को निरंतर मार्गदर्शन देने के लिए देबाश्री मुखर्जी को धन्यवाद दिया।
पंकज कुमार, सचिव, DoWR, RD & GR, जल शक्ति मंत्रालय ने कहा कि’’ भारत सरकार ने देश में बांध सुरक्षा प्रबंधन के पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार के लिए कई नीतिगत पहल की हैं। आईआईटी रुड़की में बांधों के लिए अंतर्राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। उन्होंने आगे कहा कि लंबे समय में, शैक्षणिक और केंद्रीय संस्थानों की सक्रिय भागीदारी के साथ बांध सुरक्षा प्रबंधन में विशेषज्ञता देश के भीतर उपलब्ध होगी जो भारत सरकार के मिशन “आत्मनिर्भर भारत” को सही गति प्रदान करेगी और भविष्य में कई अविकसित और विकासशील देशों को इस क्षेत्र में ज्ञान और विशेषज्ञता का प्रसार करने का अवसर प्रदान करेगी।‘’
देबाश्री मुखर्जी, विशेष सचिव, डीओडब्ल्यूआर, आरडी एंड जीआर ने कहा कि ‘’आईआईटी रुड़की में आईसीईडी अत्याधुनिक तकनीकी जानकारी प्रदान करेगा जो बांध प्रबंधन और सुरक्षा के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं और मानकों के अनुरूप है, ताकि बांध मालिकों को आने वाली समस्याओं का समाधान किया जा सके। ‘’
आनंद मोहन, संयुक्त सचिव (आरडी एंड पीपी) ने उक्त अवसर पर व्यक्त किया ”कि भारत सरकार बांध सुरक्षा के लिए दो उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के अलावा बांध सुरक्षा में विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों और अन्य प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों की संस्थागत क्षमता निर्माण का विकास भी कर रही है। आने वाले वर्षों में देश जटिल बांध सुरक्षा मुद्दों और चुनौतियों को दूर करने में आत्मनिर्भर हो जाएगा।”
सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष कुशविंदर वोहरा ने कहा, ‘आईआईटी रुड़की, इस केंद्र के माध्यम से, अन्य बांध सुरक्षा क्षेत्रों में नई तकनीकी प्रगति को अपनाने का भी प्रयास करेगा और बांध मालिकों के सामने आने वाली चुनौतीपूर्ण समस्याओं का अत्याधुनिक समाधान प्रदान करने में मदद करेगा’।
विजय सरन, मुख्य अभियंता, डीएसओ और परियोजना निदेशक, सीपीएमयू, डीआरआईपी चरण II और चरण III, केंद्रीय जल आयोग ने कहा, “हमारे बांध मालिकों की क्षमता निर्माण की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए, भारत सरकार ने कई पहल की हैं। सबसे महत्वपूर्ण पहलों में हमारे बांध मालिकों को तकनीकी सहायता प्रदान करने और देश में बांध सुरक्षा ज्ञान के क्षितिज को व्यापक बनाने के लिए हमारे शैक्षणिक संस्थानों की क्षमता निर्माण है; इन प्रयासों के तहत उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना एक प्रयास है। ।”प्रो. के.के. पंत, निदेशक, आईआईटी रुड़की ने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय बांध उत्कृष्टता केंद्र (आईसीईडी) का गठन बांध सुरक्षा में ‘मेक इन इंडिया’ को सशक्त करेगा, साथ ही उन्नत अनुसंधान और प्रौद्योगिकियों और अनुप्रयोग उत्पादों को विकसित करेगा। हम जल शक्ति मंत्रालय के इस मिशन में योगदान करने के लिए उत्सुक हैं। ।