नवजात शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए मिलकर कार्य करने की जरूरत


नवजात शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए मिलकर कार्य करने की जरूरत
– हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में नवजात स्वास्थ्य देखभाल पर संगोष्ठी आयोजित
– नवजात शिशु स्वास्थ्य से जुड़े 60 बाल रोग विशेषज्ञ और नियोनेटोलॉजिस्ट हुये शामिल
डोईवाला। हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में नवजात स्वास्थ्य देखभाल पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें विशेषज्ञों ने नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए सभी को मिलकर कार्य करने की जरूरत पर बल दिया।
सोमवार को हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट के न्यू ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन नेशनल नियोनेटोलॉजी के अध्यक्ष डॉ. प्रवीण कुमार ने किया। साथ ही उन्होंने इंडिया न्यूबोर्न एक्शन प्लान के बारे उपस्थित चिकित्सकों की इसकी जानकारी दी। हिमालयन इंस्टीट््यूट ऑफ मेडिकल सांइसेज के प्रिंसिपल डॉ. अशोक देवरारी ने कहा कि उत्तराखंड में नवजात शिशु की मृत्यु दर को कम करने के लिए सभी को मिलकर काम करने की जरूरत हैं। साथ ही कार्यशैली में बदलाव लाकर कम खर्च में भी शिशुओं की बेहतर देखभाल कर सकते हैं। डॉ. गिरीश गुप्ता, डॉ. श्रीपर्णा बासु व डॉ. सुरेंद्र सिंह बिष्ट के निर्देशन में आयोजित पैनल डिस्कशन में नवजात शिशु में न्यूट्रीशन, जन्म के समय सांस न ले पाने से होने वाली समस्याओं और निदान, एवम उत्तराखंड में नवजात शिशु चिकित्सा के लिए एनआईसीयू में होने वाली समस्याओं के विभिन्न पहलुओं के बारे में विशेषज्ञों ने चर्चा की। इसके अतिरिक्त नवजात शिशु स्वास्थ्य के लिए कार्यरत उत्तराखंड के चिकित्सकों ने अपने अनुभव साझा करते हुए उत्तराखंड में अपने कार्यकाल से जुड़े सकारात्मक तथ्यों एवम समस्याओं के बारे में बताया। कार्यक्रम में नवजात स्वास्थ्य से जुड़ी तीन पुस्तकों का विमोचन डॉ. रेनू धस्माना, डॉ. प्रवीण कुमार, डॉ. सुरेंद्र सिंह बिष्ट ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर सर्वसम्मति से एनएनएफ की उत्तराखंड शाखा का गठन किया गया। जिसमें श्रीपर्णा बासु अध्यक्ष, डॉ. राकेश कुमार सचिव एवं डॉ. विशाल कौशिक को कोषाध्यक्ष चुना गया। निर्वाचित सदस्यों ने कहा कि उत्तराखंड के नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य उत्थान के लिए वह निरंतर प्रयासरत रहेंगे। सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं में सामन्जस्य बना कर बेहतर सेवाएं प्रदान कर सकते हैं। नियमित गोष्ठी एवम कार्यशालाओं के माध्यम से हम ज्ञान और कौशल का निर्माण करेंगे। ट्रांसपोर्ट और टेलीमेडिसिन के विकल्पों पर भी ध्यान देना हमारी प्राथमिकता रहेगा। वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. बीपी कालरा ने बताया कि संगोष्ठी में उत्तराखंड के नवजात शिशु स्वास्थ्य से जुड़े करीब 60 बाल रोग विशेषज्ञ और नियोनेटोलॉजिस्ट ने भाग लिया। कार्यक्रम में डॉ. व्यास राठौर, डॉ. ऋतु रखोलिया, डॉ. अजय आर्या, डॉ. उत्कर्ष शर्मा, डॉ. अल्पा गुप्ता, डॉ. अनिल रावत, डॉ. अरुण कुमार, डॉ. डीएस रावत, डॉ. विपिन वैश, डॉ. नीरूल पंडिता, डॉ. सनोबर वसीम, डॉ. ज्योति वालिया आदि उपस्थित थे।