जोशीमठ#
जोशीमठ में भू-धंसाव का अध्ययन करके विशेषज्ञ समिति देहरादून लौट आई है। समिति ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट सौंप दी है। आधा जोशीमठ आपदाग्रस्त घोषित कर दिया गया है। समिति ने ऐसे भवनों को गिराए जाने की सिफारिश की है, जो रहने लायक नहीं है और पूरी तरह से असुरक्षित हैं। प्रभावित परिवारों के लिए फेब्रिकेटेड घर बनाए जाएंगे।
वहीं दूसरी ओर जोशीमठ में भू-धंसाव के चलते कॉलोनी खाली कराई गई है। जोशीमठ में भू धंसाव के चलते सेना ने किराए के घर में रहने वाले अपने जवानों को अपने कैंपों में शिफ्ट करना शुरू कर दिया है। जोशीमठ में भारतीय सेना की बिग्रेड और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की एक बटालियन तैनात है। जोशीमठ भारत तिब्बत सीमा का अंतिम शहर है। यहां से नीति और माणा घाटियां भारत तिब्बत सीमा से जुड़ती हैं। इस बटालियन के कई जवान जोशीमठ में किराए के मकान में रहते हैं। शहर के मकानों में जिस तरह गहरी दरारें आ रही हैं, वह किसी के लिए सुरक्षित नहीं हैं। किसी अनहोनी से बचने के लिए सेना ने जवानों को ऐसे किराए के मकान तत्काल खाली करने को कहा है जहां दरारें आ रही है। इनके लिए सेना अपने जवानों के रहने के लिए अस्थायी इंतजाम कर रही है। कई जवानों के परिवारों को कैंपों में ठहराया गया है। कुछ को बैरकों में शरण दी जा रही है। सचिव डॉ अमित सिन्हा के अनुसार सेना, आइटीबीपी, एनटीपीसी व जेपी कंपनी के परिसर के कुछेक हिस्से भी भूधंसाव वाले क्षेत्र की जद में है। सेना ने अपने आवासीय परिसर को खाली कर इसे अपने ही परिसर में सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किया है। आइटीबीपी भी अपनी कॉलोनी खाली कर रही है, जबकि जेपी कंपनी ने भी अपने कुछ आवास खाली कर दिए हैं। एनटीपीसी भी इसकी तैयारी कर रहा है। भू-धंसाव का क्षेत्र अब सेना और आईटीबीपी के कैंप की ओर भी बढ़ना शुरू हो गया है। कैंप की सड़क धंसने के साथ ही सीमा का जोड़ने वाला मलारी हाईवे पर धंस गया है। ऐसे में सेना को आवागमन व रसद की दिक्कत हो सकती है।