उत्तराखंड सरकार ने अब आजीवन कारावास की सजा को घटा कर 14 वर्ष कर दिया है अर्थात अब उत्तराखण्ड में किसी की भी हत्या करने पर मात्र 14 वर्ष ही जेल में बिताना होगा उसके बाद अच्छे चलन के आधार पर अपराधी को छोड़ दिया जायेगा । जघन्य अपराध के अपराधियों के प्रति सरकार की ये दरियादिली समझ से परे है । इससे सरकार की प्राथमिकता भी पता चलती है । उत्तराखण्ड सरकार के लिए भू कानून , लोकायुक्त, अनिवार्य चकबन्दी, पलायन रोकने , से ज्यादा जरूरी था हत्या व डकैती जैसे जघन्य अपराधों के अपराधियों को राहत पहुँचाना। अब प्रदेश में मादक पदार्थ कब्जे में पाये जाने पर सजा जो कि अधिकतम 30 वर्ष तक हो सकती है जबकि किसी की हत्या करने या डकैती डालकर हत्या करने पर सजा मात्र 14 वर्ष ही होगी। पॉक्सो में रेप की सजा 20 वर्ष और रेप कर हत्या करने की सजा होगी आजीवन कारावास अर्थात 14 वर्ष, क्यों कि फाँसी की सजा अपवाद स्वरूप बहुत ही रेयर केसेज में ही दी जाती है लगभग सभी मामलों मैं (कुछ अपवादों को छोड़ कर) आजीवन कारावास की ही सजा देने का चलन देश में है। उत्तराखण्ड सरकार को इसके लिए बधाई दी जाये या शुभकामनायें समझ नहीं आ रहा है।