सरकार की ओर से शिक्षा निदेशालय ने दिए निर्देश
देहरादून
अगले साल शुरू होने वाले शिक्षा सत्र से राज्य के 3000 से अधिक स्कूलों पर ताले पड़ जाएंगे। राज्य सरकार द्वारा किए गए इस फैसले के बाद शिक्षा निदेशालय द्वारा इस आशय के आदेश सभी स्कूलों को जारी कर दिए गए हैं।
सरकार द्वारा राज्य के उन सभी स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया गया है जिनमें छात्रों की संख्या अत्यधिक कम है पर्वतीय क्षेत्र के उन सभी स्कूलों को अगले साल से बंद कर दिया जाएगा जिन स्कूलों में छात्र-छात्राओं की संख्या 5 या इससे कम है। वहीं राज्य के मैदानी जनपदों के स्कूलों के लिए यह संख्या 10 निर्धारित की गई है। जिन मैदानी क्षेत्र के स्कूलों में छात्र-छात्राओं की संख्या 10 से कम है उन्हें भी बंद कर दिया जाएगा, सरकार द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों के अनुसार इन बंद किए जाने वाले स्कूलों के छात्रों को नजदीकी स्कूलों में शिफ्ट किया जाएगा तथा इन स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक का समायोजन भी अन्य स्कूलों में किया जाएगा।
जानकारी के अनुसार राज्य में ऐसे स्कूलों की संख्या चार हजार से अधिक है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि बीते 3 सालों से इस तरह के प्रयास किए जा रहे हैं कि छात्रों की संख्या शुन्य या कम होने से बहुत सारे स्कूल पहले ही बंद किए जा चुके हैं जबकि एक अनुमान के अनुसार राज्य में अभी भी 3000 से अधिक स्कूल ऐसे हैं जिनमें छात्र संख्या बहुत कम है लेकिन अब इन सभी स्कूलों का आगामी शिक्षा सत्र से बंद किया जाना सुनिश्चित माना जा रहा है।
उत्तराखंड राज्य के स्कूलों के भवनों की जर्जर हालत और छात्र विहीन स्कूलों के साथकृसाथ शिक्षक विहीन स्कूल और एकल शिक्षक वाले स्कूलों को लेकर समय-समय पर सवाल उठाए जाते रहे हैं। दूरस्थ दुर्गम स्कूलों में शिक्षक अपनी सेवाएं देने से कतराते हैं वहीं मैदानी व शुगम क्षेत्रों के स्कूलों में अपनी तैनाती कराने के कारण मैदानी क्षेत्र के स्कूलों में आवश्यकता से अधिक शिक्षक तैनात हैं जबकि पहाड़ के स्कूलों में शिक्षकों का भारी टोटा है।
राज्य गठन के 22 साल बाद भी शिक्षा के क्षेत्र में राज्य के स्कूलीय व्यवस्था की बदहाली की बात किसी से छिपी नहीं है। भले ही सत्ता में बैठे लोगों द्वारा सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर पब्लिक स्कूलों जैसा करने की बात कही जाती रही हो। अब अगर राज्य के हजारों स्कूलों पर ताले पड़ने की बात हो रही है तो इससे समझा जा सकता है कि इसका राज्य की शिक्षा पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
सरकार द्वारा राज्य के उन सभी स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया गया है जिनमें छात्रों की संख्या अत्यधिक कम है पर्वतीय क्षेत्र के उन सभी स्कूलों को अगले साल से बंद कर दिया जाएगा जिन स्कूलों में छात्र-छात्राओं की संख्या 5 या इससे कम है। वहीं राज्य के मैदानी जनपदों के स्कूलों के लिए यह संख्या 10 निर्धारित की गई है। जिन मैदानी क्षेत्र के स्कूलों में छात्र-छात्राओं की संख्या 10 से कम है उन्हें भी बंद कर दिया जाएगा, सरकार द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों के अनुसार इन बंद किए जाने वाले स्कूलों के छात्रों को नजदीकी स्कूलों में शिफ्ट किया जाएगा तथा इन स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक का समायोजन भी अन्य स्कूलों में किया जाएगा।
जानकारी के अनुसार राज्य में ऐसे स्कूलों की संख्या चार हजार से अधिक है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि बीते 3 सालों से इस तरह के प्रयास किए जा रहे हैं कि छात्रों की संख्या शुन्य या कम होने से बहुत सारे स्कूल पहले ही बंद किए जा चुके हैं जबकि एक अनुमान के अनुसार राज्य में अभी भी 3000 से अधिक स्कूल ऐसे हैं जिनमें छात्र संख्या बहुत कम है लेकिन अब इन सभी स्कूलों का आगामी शिक्षा सत्र से बंद किया जाना सुनिश्चित माना जा रहा है।
उत्तराखंड राज्य के स्कूलों के भवनों की जर्जर हालत और छात्र विहीन स्कूलों के साथकृसाथ शिक्षक विहीन स्कूल और एकल शिक्षक वाले स्कूलों को लेकर समय-समय पर सवाल उठाए जाते रहे हैं। दूरस्थ दुर्गम स्कूलों में शिक्षक अपनी सेवाएं देने से कतराते हैं वहीं मैदानी व शुगम क्षेत्रों के स्कूलों में अपनी तैनाती कराने के कारण मैदानी क्षेत्र के स्कूलों में आवश्यकता से अधिक शिक्षक तैनात हैं जबकि पहाड़ के स्कूलों में शिक्षकों का भारी टोटा है।
राज्य गठन के 22 साल बाद भी शिक्षा के क्षेत्र में राज्य के स्कूलीय व्यवस्था की बदहाली की बात किसी से छिपी नहीं है। भले ही सत्ता में बैठे लोगों द्वारा सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर पब्लिक स्कूलों जैसा करने की बात कही जाती रही हो। अब अगर राज्य के हजारों स्कूलों पर ताले पड़ने की बात हो रही है तो इससे समझा जा सकता है कि इसका राज्य की शिक्षा पर क्या प्रभाव पड़ेगा।