एसआरएचयू में बौद्धिक संपदा अधिकार पर सेमिनार आयोजित


– सेमिनार में शामिल हुये 175 प्रतिभागी
डोईवाला। स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) में यूकोस्ट के सहयोग से इंटेलैक्चुउल प्रोपर्टी राइट पर सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें प्रतिभागियों को बौद्धिक संपदा अधिकार और इसके महत्व के विषय में जानकारी दी गयी।
सोमवार को विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में आयोजित सेमनिार का उद्घाटन कुलपति डॉ. विजय धस्माना ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये कुलपति डॉ. विजय धस्माना ने कहा कि हमारे यहां पारंपरिक ज्ञान का भंडार है परन्तु आमजन को पेटेंट संबंधित कानूनों की जानकारी नहीं है। उन्होंने बौद्धिक संपत्ति के अंतर्गत पेटेंट, कॉपीराइट, टेªडमार्क के बारे में कहा कि वैश्विक स्तर पर हो रहे बदलाव को देखते हुये इन अधिकारों के बारे में सजग रहने की जरूरत है। मुख्य वक्ता प्रमुुख विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग नई दिल्ली के डॉ. यशवंत देव पंवार ने कहा कि बौद्धिक संपदा को दिमागी उपज कहा जाता है, इसका उपयोग अविष्कारकर्ता ही कर सकता है। इसके अंतर्गत व्यक्ति अथवा संस्था द्वारा सृजित कोई रचना, संगीत, साहित्यिक कृति, कला, खोज अथवा डिजाइन होती है जो उस व्यक्ति अथवा संस्था की बौद्धिक संपदा कहलाती है और इन कृतियों पर व्यक्ति अथवा संस्था को प्राप्त अधिकार बौद्धिक संपदा अधिकार कहलाता है। उन्होंने बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर), भारतीय पेटेंट प्रणाली, पीसीटी आवेदन दाखिल करने और आईपीआर से संबंधित अन्य विषयों के लिए प्रश्नावली के माध्यम उपस्थित लोगों से संवाद किया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि शिक्षाविदों की ओर से आईपीआर के बारे में अधिक जागरूकता की आवश्यकता है क्योंकि वे युवा दिमाग को विकसित करते है जो सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास को बढ़ाने के साथ-साथ आईपीआर के माध्यम से उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए माध्यम बन सकते हैं। सेमिनार में मेडिकल, मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग, नर्सिंग, योग विज्ञान, बॉयोसाइंस के डीन और फैकल्टी, शोध छात्र-छात्राएं सहित 175 प्रतिभागी शामिल हुये। इस अवसर पर प्रति कुलपति डॉ. विजेन्द्र चौहान, रजिस्ट्रार डॉ. सुशीला शर्मा, डीन रिसर्च डॉ. विनीता कालरा उपस्थित थे। कार्यक्रम के समापन पर डायरेक्टर प्लानिंग एंड रिसर्च डेवलपमेंट डॉ. राजेन्द्र डोभाल ने धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया।