मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी ने दिये जांच के आदेश

सूचना के अधिकार से हुआ खुलासा


मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी ने दिये जांच के आदेश

सूचना के अधिकार से हुआ खुलासा
शिक्षा विभाग की मान्यता के बिना मयूर विहार लेन नंबर-5 बंजारावाला देहरादून से संचालित किया जा रहा किड्जी स्कूल

देहरादून। जहां आज केन्द्र एवम् राज्य सरकार हर क्षेत्र से भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिये जीरोटॉलरेन्स की नीति अपनाकर शिक्षा के स्तर में गुणात्मक सुधार कर रही है। वहीं प्रीति यादव एवं सोमित यादव एवम् उनके परिवार के लोग सरकार की जीरोटॉलरेन्स की नीति को पलिता लगा रहे है। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार मयूर विहार लेन नंबर-5 बंजारावाला में किड्जी स्कूल का संचालन बिना मान्यता के चलने की सूचना प्राप्त हुई। प्राप्त सूचना के आधार पर सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा सूचना के अधिकार के तहत सूचना मांगी गयी तो पहले तो मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी विभाग से कोई भी जानकारी मिलना मुश्किल हो रहा था। क्योकि किड्जी स्कूल के प्रबन्ध तन्त्र द्वारा शिक्षा विभाग पर दबाव बनाया जा रहा था। लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा लगातार प्रयास करने पर आखिरकार मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी विभाग द्वारा दिये गये जवाब में काफी हैरतअंगेज तथ्य सामने आये। सामाजिक कार्यकर्ता को मुख्य जिला शिक्षा विभाग से सूचना के अधिकार में जवाब मिला की स्कूल से सम्बन्धित कोई भी पत्रावली विभाग में उपलब्ध नहीं है।

गौरतलब है कि बिना शिक्षा विभाग की मान्यता के किड्जी स्कूल मयूर विहार लेन नंबर-5 बंजारावाला से संचालित होना स्कूल के प्रबन्ध तंत्र एवं शिक्षा विभाग की मिली भगत को भी उजागर करता है। शिक्षा विभाग की इस घोर लापरवाही एवं कर्तव्यहीनता को देखते हुए सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा एक शिकायती पत्र मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी को स्पीड पोस्ट द्वारा प्रेषित किया गया। शिकायती पत्र का संज्ञान स्वयं मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी डॉ0 मुकुल सती जी द्वारा लिया गया। जिस पर मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच के आदेश जारी कर कार्यवाही का आश्वासन दिया गया। मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी ने सूचना के अधिकार में यह भी स्पष्ट कर दिया कि मयूर विहार लेन नंबर-5 बंजारवाला में किड्जी स्कूल मुख्य शिक्षा विभाग से बिना मान्यता के संचालित किया जा रहा है।
यह पहला वाक्य नहीं है जब प्रीति यादव एवम् सोमित यादव द्वारा बिना मान्यता के स्कूल का संचालन कर सरकार से 420 का खेल खेला गया बल्कि कुछ वर्षाे पहले 2011-2012 में सोमित यादव एवं प्रीति यादव के परिवार के लोगों द्वारा 43/1, धर्मपुर माता मंदिर मार्ग पर न्यू प्रभु निकेतन जूनियर हाई स्कूल के नाम से भी स्कूल का संचालन किया जाता था। वह स्कूल भी किसी बड़े फर्जीवाड़े के कारण शिक्षा विभाग द्वारा सील कर दिया गया था। जिससे सम्बन्धित समाचार कुछ बड़े राष्ट्रीय समाचार पत्रों में सुर्खियां बनकर प्रकाशित होता रहा। लेकिन अचानक ऐसा क्या हो गया कि न्यू प्रभु निकेतन जूनियर हाई स्कूल का मामला राज बनकर रह गया। जब सामाजिक कार्यकता बिजेन्द्र द्वारा सूचना के अधिकार में न्यू प्रभु निकेतन जूनियर हाई से सम्बन्धित अभिलेख मांगे गये तो शिक्षा विभाग अभिलेख न देकर यह करकर पल्ला झाड़ता हुआ नजर आया कि वर्तमान में न्यू प्रभु निकेतन जूनियर हाई स्कूल बन्द है। शिक्षा के मंदिर कहे जाने वाले हमारे स्कूल चन्द लोगों की वजह से बदनाम होने के साथ ही कई प्रकार के प्रश्न भी उन अभिभावकों के सामने खड़े कर रहे है जो अपने बच्चों को पढ़ाने के लिये अपना एवम् अपने परिवार का पेट काट कर व अपनी सभी इच्छाओं को मारकर अपने बच्चों को पढ़ाते है।
1-बिना मान्यता के चलने वाले स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य क्या होगा?
2-फर्जी तरीके से चलने वाले स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले अभिभावकों के सपने कैसे साकार होंगें?
3-फर्जी तरीके से चलने वाले स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चें कैसे बनेगे एक सभ्य नागरिक?
4-क्या इस प्रकार फर्जी तरीके से स्कूल चलाने वाले लोगों की अकूत सम्पत्ति की नहीं होगी कोई जांच?
5-एक ही परिवार के लोगों द्वारा न्यू प्रभु निकेतन जूनियर हाई स्कूल और किड्जी स्कूल फर्जी तरीके से चलाने वालों के पास कहां से आई इतनी दौलत अपने आप में एक जांच का विषय है।