स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय में योग पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित


स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय में योग पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित
– यम और नियम के अनुकरण से होगा एक सभ्य समाज का निर्माण
– भागवत गीता में वर्णित योग से की जा सकती है सामाजिक पुनर्रचना
डोईवाला। स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय एवं भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजित की गयी। जिसमेें वक्तओं के योग के सामाजिक व आध्यात्मिक पक्षों के विषय में व्याख्यान दिये।
शुक्रवार को हिमालयन स्कूल आॅफ योगा साइंस की ओर से नर्सिंग आॅडिटोरियम में योग के माध्यम से सामाजिक पुनर्रचना विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता देव संस्कृति विश्वविद्यालय के डाॅ. ईश्वर भरद्वाज ने विभिन्न योगिक विधाओं के माध्यम से सामाजिक पुनर्रचना पर व्याख्यान दिया उन्होंने बताया की अगर हम अपने जीवन में यम और नियम का अनुकरण करें तो इससे एक सभ्य समाज का निर्माण होगा। संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे प्रति कुलपति डाॅ. विजेंद्र चैहान ने समग्र स्वास्थ्य एवं योग पर विस्तृत व्याख्यान दिया। उन्होंने योग के वैज्ञानिक पक्ष पर विशेष जोर दिया। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विक्रम सिंह ने योग के सामाजिक व अध्यात्मिक पक्ष पर विस्तृत चर्चा की। मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान दिल्ली के आचार्य डाॅ. अर्पित दुबे जी ने भागवत गीता में वर्णित योग से कैसे सामाजिक पुनर्रचना की जा सकती है इस पर अपना व्याख्यान दिया। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के डॉ सुनील कुमार श्रीवास ने योग के ध्यानात्मक पक्ष पर अपना व्याख्यान दिया। हिमालयन स्कूल आफ योगा साइंस की अध्यक्षा सोम लता झा ने आसन एवं प्राणायाम का आधुनिक जीवन में महत्व बताते हुए सामाजिक पुनर्रचना पर व्याख्यान दिया। संगोष्ठी में अन्य विश्वविद्यालयों से आए हुए शोधार्थियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किए जिसमें एम्स ऋषिकेश की शोधार्थी का पेपर प्रेजेंटेशन सर्वश्रेष्ठ रहा। पेपर प्रेजेंटेशन सत्र की अध्यक्षता डॉ विक्रम सिंह ने की। संगोष्ठी का संचालन डाॅ. राम नारायण मिश्र ने किया। इस संगोष्ठी में लगभग 150 प्रतिभागियों ने भाग लिया।