देहरादून : राज्य के प्राथमिक विद्यालय में नियुक्ति हेतु शैक्षिक योगिता निर्धारित है, राज्य के डाइट से डी.एल.एड. प्राप्त किया हो अथवा एन.सी.टी द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान से प्रारंभिक शिक्षा शास्त्र में डिप्लोमा डी.एल.एड का वर्णन किया गया है, तथा एक शासनादेश 7 फरवरी 2019 में बना था की लोक सेवा आयोग की परिधि के अंतर्गत अथवा बाहर समूह गा के पदों की भर्ती के लिए नियमावली 2010 में संशोधन किया गया था कि राज्य के मूल निवासी जो अन्यत्र आजीविका हेतु निवास कर रहे है, अथवा बाहरी राज्य के निवासी जो उत्तराखंड राज्य में नियमित पदों पर सेवा कर रहे हो तथा जिन की सेवाएं राज्य से बाहर स्थानांतरण नहीं है वे स्वयं या उनके बच्चे समूह ग के पदों पर भर्ती हेतु पात्र होंगे, इसी के दृष्टिगत शिक्षा विभाग ने भी 2019 में संशोधन किया कि इस तरह अन्य राज्यों से डी.एल.एड प्राप्त करने वाले अभ्यर्थी राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्ति हेतु पात्र होंगे।
राज्य के सरकारी प्राथमिक विद्यालयो में तथा राज्य के अन्य जिलों के आशासकीय प्राथमिक विद्यालय में भी अन्य राज्यों से डी.एल.एड की उपाधि पाने वाले उपयुक्त छात्रों को नौकरी दी जा रही है।
परंतु मात्र एक देहरादून जिला है जहां के मुख्य शिक्षा अधिकारी मुकुल कुमार सती इस आधार पर आवेदन पत्र को निरस्त कर रहे हैं कि अन्य राज्य से प्राप्त डी.एल. एड.उपाधि धारक नियुक्ति हेतु पात्र नहीं होंगे।
इस संबंध में एक अभ्यर्थी राजेश माथुर निवासी लाडपुर का आवेदन पत्र जो हिंदू नेशनल इंटर कॉलेज देहरादून के लिए आवेदन किया था, जब उसने मुख्य शिक्षा अधिकारी से संपर्क किया तथा अपना प्रत्यावेदन दिया परंतु मुख्य शिक्षा अधिकारी नियमों की अनदेखी करते हुए मानने को तैयार ही नहीं।
इससे प्रतीत होता है की अशासकीय विद्यालयों में मनमाने तरीके से नियुक्ति की जा रही है जो जांच का विषय है, और यह प्रदेश के युवाओं के साथ नाइंसाफी है, मुख्य शिक्षा अधिकारी अभ्यर्थी के आवेदन पत्र पर विचार न करते हुए अपनी हठधर्मिता दिखाते हुए 9 जुलाई अर्थात कल साक्षात्कार भी करवा रहे हैं जो प्रार्थी के साथ अन्याय है। इन नियुक्तियो पर रोक लगनी चाहिये अन्यथा अधिकारियो की मनमानी चलती रहेगी।