शंभू नदी का प्रवाह रूकने से बनी झील,खतरे की जद में चमोली के कई इलाके।

ब्रेकिंग हाई वोल्टेज न्यूज़ डॉ. सेमवाल की रिपोर्ट***बागेश्वर चमोली जिले को जोड़ने वाली शंभू नदी किसी भी समय बड़ी तबाही ला सकती है।

बागेश्वर जिले के अंतिम गांव कुंवारी से करीब दो किमी आगे भूस्खलन के मलबे से शंभू नदी पट गई है।

इससे यहां झील बन गई है।

झील का आकार दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। समय रहते मामले का संज्ञान नहीं लिया गया तो बरसात या उससे पहले बड़ा हादसा हो सकता है।

कपकोट के आपदाग्रस्त गांव कुंवारी की पहाड़ी से समय-समय पर भूस्खलन होता रहता है।

वर्ष 2013 में भी भूस्खलन के कारण गांव की तलहटी पर बहने वाली शंभू नदी में झील बन गई थी।

बारिश में नदी का जलस्तर बढ़ने से नदी में जमा मलबा बह गया और खतरा टल गया था।

वर्ष 2018 में एक बार ऐसे ही हालात बने।

नदी में भारी मात्रा में मलबा जमा होने के बाद फिर से झील आकार लेने लगी।

क्षेत्रवासियों का कहना हैै कि तब से झील का आकार बढ़ता जा रहा है।

वर्तमान में झील करीब 500 मीटर लंबी और 50 मीटर चौड़ी हो चुकी है। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि झील की लंबाई इससे कहीं अधिक होगी।

झील गहरी कितनी है, फिलहाल इसकी जानकारी नहीं है।

कुंवारी की ग्राम प्रधान धर्मा देवी और सामाजिक कार्यकर्ता खीम सिंह दानू बताते हैं कि भूस्खलन के कारण मलबा और बोल्डर गिरने से झील बनी है।

उनका दावा है कि झील के संबंध में जनप्रतिनिधियों और प्रशासन तक को जानकारी है।

बावजूद इसके इस दिशा में कोई संज्ञान नहीं लिया गया है।

उन्होंने कहा कि अगर बारिश के दौरान झील टूटी तो चमोली जिले में भारी नुकसान हो सकता है।

शंभू नदी बोरबलड़ा गांव के समीप शंभू ग्लेशियर से निकलती है।

नदी कुंवारी गांव से करीब पांच किमी आगे पिंडारी ग्लेशियर से निकलने वाली पिंडर नदी में मिल जाती है।

ग्रामीणों के अनुसार झील बोरबलड़ा के तोक भराकांडे से करीब चार किमी और कुंवारी गांव की तलहटी से करीब दो किमी दूर कालभ्योड़ नामक स्थान पर बनी है जहां से करीब चार कि.मी तक बनी झील।